प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त दावे की धज्जियां उड़ाते हुए विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र के प्रतापपुर ग्राम सभा के पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान योजनाओं में धांधली कर मालामाल हो रहे हैं। लेकिन ग्राम पंचायत में बढ़ते भ्रष्टाचार को रोक लगाने के लिए कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है जिससे ग्राम पंचायत प्रतापपुर में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। राज्य वित्त से लेकर विभिन्न योजनाओं की रकम से कराए जाने वाले कार्यों में मानक की अनदेखी कर मनमानी कार्य कराए जा रहे हैं जिससे योजनाएं जमीनी हकीकत पर नहीं उत्तर पा रही है।नाली, खड़ंजा, इंटरलॉकिंग, सीसी रोड बनते ही ध्वस्त हो रही है। इतना ही नहीं मनरेगा योजना में मजदूरों को रोजगार देने के नाम पर फर्जी नाम दर्ज करके मजदूरी निकाली जा रही है।फर्जी मजदूरी की आड़ में हिस्सा बंटवारा हो रहा है जिससे मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है और क्षेत्र के मजदूर रोजगार के चक्कर में पलायन करने को मजबूर हैं।मुक्तिधाम योजना के लिए मिलने वाली लाखों की राशि का सही उपयोग न कर निर्माण कार्य में जमकर गड़बड़ी की जा रही है। गौरतलब है कि गांव-गांव में श्मशान घाट विकसित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुक्तिधाम योजना शुरू की गई थी। जिसमें श्मशान घाट में चबूतरा तथा टीन सेड लगाने के लिए लाखों का बजट दिया जाता है। लेकिन पंचायत द्वारा श्मशान घाट के लिए मिली राशि का सही उपयोग न करके घटिया निर्माण कराया जा रहा है। यमुना नदी की कछार की तरफ बुनियादी नीव की पत्थर से जोड़ाई मिट्टी के गारे से की जा रही है।बारिश का समय है यमुना नदी में बाढ़ आने के बाद कभी भी कटान में पूरी दीवाल बह सकती है। जो पिलर खड़ा किया जा रहा है वह तीन सूत की जंगदार सरिया व घटिया बालू सीमेंट मटेरियल से बनाया जा रहा है। बताया गया कि इस तरह घटिया सामग्री से शमशान घाट का निर्माण करवाया जा रहा है जो कहीं ना कहीं सूवे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के ईमानदार छवि को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। जब से श्मशान घाट का निर्माण शुरू हुआ तब से अभी तक किसी जिम्मेदार ने अपनी जिम्मेदारी न निभाते हुए भौतिक परीक्षण नहीं किया जिससे निर्माण कार्य करवाने वालों के हौसले बुलंद है। लोगों ने विभागीय उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुरजोर मांग की है कि शमशान घाट का निरीक्षण व भौतिक परीक्षण कर घटिया सामग्री से करवाए जा रहे निर्माण कार्य का जांच कर दोषियों पर कार्यवाही सुनिश्चित करें। यदि ग्राम पंचायत की निष्पक्ष तरीके से जांच कराई गई तो पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान पर गाज गिरना तय है। प्रधान और सचिव के द्वारा किए गए बड़े हेरा फेरी में अफसरों की संलिप्तता भी उजागर होना तय है। लेकिन अहम और बड़ा सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है कि क्या योगीराज में निष्पक्ष तरीके से जांच हो पाएगी जिन अफसरों तक विकास कार्य के नाम पर 40% का हिस्सा पहुंचने की चर्चाओं का बाजार गर्म है।