बडोदिया में आचार्य श्री सुनिल सागरजी महाराज ससंघ की भव्य अगवानी


प्रेम की गंगा, धर्म की गंगा बहाते चलो यही मोक्ष का मार्ग है – आचार्य श्री सुनिल सागरजी महाराज

कुशलगढ़|बडोदिया में आचार्य श्री सुनिल सागरजी महाराज ने कहा कि बडोदिया का मतबल बडो का दिया हुआ है । जिसके पीछे मंदिर है दाएं मंदिर है और बाएं भी मंदिर से कम नहीं है ऐसे गांव को छोटा दिया कैसे कहा जा सकता है दिया का मतलब समझते हैं जो प्रकाश बिखेरता है, जो रोशनी देता है, दीपक से दीपक ज्योत से ज्योत जलाते चलो प्रेम की गंगा, धर्म की गंगा बहाते चलो तो बड़ी बात हो जाए निश्चित रूप से ऐसे ही श्रद्धा, प्रेम की आपसी मेलजोल के दीए जलते रहे इसी तरह का भी संवाद और कोई भी संकट समाज में, गांव में पैदा ना हो इस तरह का प्रयत्न सबको करना चाहिए। यह विचार मुनि श्री ने शनिवार को वीरोदय तीर्थ से विहार कर बडोदिया नगर में प्रवेश के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमें एक बात ध्यान रखना चाहिए इंसान इंजीनियर, डॉक्टर, कलेक्टर, कंडक्टर सब कुछ बाद में है, इसी तरह का धर्म पालन करने वाला बाद में है, लेकिन इंसान सबसे पहले, एक अच्छा इंसान और एक अच्छा इंसान वह भी अहिंसा सत्य, सदाचार, शाकाहार के रास्ते चलता है । अनेकांतवाद के बल पर सबका सम्मान कर लेता है । अहिंसा ही परम धर्म, अहिंसा ब्रह्म परम ब्रह्म है, सबसे बड़ा परमात्मा कौन है अहिंसा । कल एक पत्रकार चर्चा कर रहे थे और उन्होंने कहा दुनिया को सुख शांति का मार्ग थोड़े शब्दों में आप बताइए यही शब्द को हमने कहा अहिंसा क्योंकि जहां अहिंसा है वहां विश्वास है, जहां विश्वास है वहां अभय है, जहां अभय है वही शांति है और यही सबसे बडा धर्म है । इसलिए हमारी भारतीय संस्कृति में क्षमता संस्कृत में सभी लोग अहिंसा के मार्ग पर चलने पर बल देते है ।
आचार्य श्री ने धन का गुमान नही करने तथा धन का सदउपयोग करने की बात को बडी गंभीरता से कहा कि करिए जितना सहयोग कर सकते हैं दुखी कमजोरों का सहारा बनो । एक कहावत है कि वह तैरते तैरते डूब गए जिन्हें अपनी दौलत पर गुमान था और वह डूबते डूबते तैर गए जिनका भगवान पर श्रद्धांन था । आत्म तत्व का श्रद्धान हो, स्वरूप का श्रद्धान हो तो हमारा जीवन सफल हो जाता है।भव्य नगर प्रवेश-आचार्य संघ का वीरोदय से विहार कर बडोदिया नगर में प्रवेश हुआ तो समाज के श्रद्धालुओं ने गाजे बाजे के साथ मंगल प्रवेश कराया । मार्ग में श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री के चरणो पक्षालन कर श्रद्धाभिव्यक्ति की । कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य श्री चरणो का पक्षालन बोली के माध्यम से विमला देवी धर्म पत्नी जयन्तिलाल खोडणिया परिवार के धर्मेन्द्र खोडणिया राजकुमार खोडणिया भुपेश खोडणिया ने किया तथा मान्य तलाटी पुत्र प्रियंक तलाटी, पूर्वा तलाटी, मयंक तलाटी,चांदमल जैन ने जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त- किया । संचालन राजेश तलाटी व कमलेश दोसी ने किया। नवीन जिनालय का अवलोकन-श्री समाज बडोदिया के निवेदन पर आचार्य श्री सुनिल सागरजी महाराज ससंघ ने बडोदिया के नव निर्मित श्वेत पाषाण का गगनचुंभी जिनालय का अवलोकन किया । नवीन जिनालय के अन्दर की गई कलाक्रतियों से तैयार इस विशाल जिनालय को देख श्री समाज समाज बडोदिया को आशिर्वाद दिया । दोपहर में आचार्य सुनिल सागरजी महाराज ससंघ का बडोदिया से कलिंजरा की और विहार हुआ । बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने संघ को भाव पूर्वक विहार कराया ।

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