तपती दुपहरी व गर्म मिट्टी पर नंगे पांव हुआ आचार्य विमर्श सागर का विहार

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श्रावक और सन्त, समाज की गाड़ी के परस्पर सहयोगीः-आचार्य विमर्श सागर

कामां। सन्तो की साधना में सहयोगी बनने का कार्य श्रावक का होता है और प्रत्येक श्रावक को इसे अपना कर्तव्य समझ कर निभाना चाहिए। श्रावक और सन्त परस्पर समाज की गाड़ी को आगे बढ़ाने वाले होते हैं। अतः सन्त श्रावक को दिशा दिखाते हैं और श्रावक सन्तो की साधना को आगे बढ़ाने में सहयोगी बन पुण्यार्जन करते हैं उक्त प्रवचन दिगम्बर जैन आचार्य विराग सागर महाराज के सुशिष्य भावलिंगी सन्त आचार्य विमर्श सागर महाराज ने धर्मनगरी कामां में प्रवेश उपरांत विजयमती त्यागी आश्रम में जैन समुदाय से व्यक्त किए।
आचार्य ने कहा कि जिस प्रकार वैद्य सबसे पहले नब्ज देखता है उसी प्रकार संत भी समाज की धर्म भावना की नब्ज को टटोलते है उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रोगी को डॉक्टर के पास आना पड़ता है उसी प्रकार समाज जनों को भी सन्तो के पास आना पड़ता है तभी उपचार संभव हो पाता है जो व्यक्ति बिल्कुल मरणासन्न पर पहुंच चुका है उसका इलाज संभव नहीं है तो डॉक्टर भी जवाब दे देते हैं इसलिए समाज को हमेशा जागृत,सजग व संतों के प्रति भावों से भरा हुआ होना चाहिए। आचार्य ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान को आपकी आवश्यकता है अतः हमेशा धर्म,धार्मिक क्रियाओ और सन्तो की सेवा में अग्रणी रहो।
कामां में हुआ मंगल प्रवेशः-भावलिंगी सन्त आचार्य विमर्श सागर महाराज का 24 साधु साध्वियों सहित धर्म नगरी कामां में मंगल प्रवेश हुआ तो कामां के प्रवेश द्वार पर जैन समाज के युवाओं ने बड़े जोश के साथ आचार्य ससंघ की अगवानी की। जुलूस के रूप में बेंड बाजो के साथ डीग गेट,नगर पालिका मुख्य बाजार,लाल दरवाजा होते हुए विजयमती त्यागी आश्रम पहुंचे। इस अवसर पर वातावरण जैन धर्म के जयकारों से गुंजायमान हो गया। जैन श्रावकों ने अपने-अपने प्रतिष्ठानों पर अचार्य ससंघ की मंगल आरती पाद प्रक्षालन कर भव्य अगवानी की।
इंद्रोली गांव से तपती दुपहर में हुआ विहारः-कामां प्रवेश से पूर्व डीग रोड स्थित गांव इंद्रोली से आचार्य ससंघ का बढ़ते तापमान,तपती दोपहरी एवं गर्म धरती पर नंगे पांव पद विहार हुआ। ज्ञात रहे कि आचार्य ससंघ का एटा से तिजारा के लिए मंगल विहार मथुरा डीग कामां होते हुए चल रहा है। युवा परिषद अध्यक्ष मयंक जैन लहसरिया ने बताया कि आचार्य ससंघ में बारह दिगंबर जैन मुनिराज एवं बारह जैन साध्वी सहित अनेको ब्रह्मचारिणी बहने व भैया है। विजयमती त्यागी आश्रम में गुरुभक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया गया।


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