शाहपुरा|रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर एवं जगतगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने रविवार को बारादरी में चार्तुमास के प्रवचन के दौरान रामनिवास धाम में संप्रदाय के आद्याचार्य महाप्रभु रामचरणजी महाराज से संबंधित रामस्नेही साहित्य में शिक्षा संबंधी विचारों का अध्ययन विषय पर शोधपत्र की पुस्तक का लोकार्पण किया।
यह शोधपत्र प्रसिद्व कवि योगेंद्र शर्मा की पुत्री अंकिता दाधीच ने तैयार किया जिसे डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया है। अंकिता दाधीच ने यह शोध पत्र डा. रजनीश शर्मा के निर्देशन में तैयार किया।
आज के समारोह में डा. अंकिता दाधीच के अलावा योगेंद्र शर्मा, डा. रजनीश शर्मा, संत जगवल्लभराम महाराज, संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, प्रियंक शर्मा, पूर्व पार्षद भगवानसिंह यादव, शाहपुरा के चार्तुमास आयोजक बालूराम सोमानी व भक्तजन मौजूद रहे।
शुरूआत में डा. अंकिता दाधीचा ने आचार्यश्री को शोधपत्र की प्रति भेंट की। उन्होंने बताया कि उनका शोधपत्र डा. रजनीश शर्मा के निर्देशन में तैयार किया गया है। इसमें स्वामी रामचरण महाराज द्वारा रचित ग्रंथ ‘अणभै वाणी और उनके शैक्षिक, नैतिक, मानवीय एवं विविध मूल्य संवलित बहुआयामी विचार, अनुसंधान का मुख्य आधार रहे। इस पर उनको डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया है।
जगतगुरू आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने शोध का लोकार्पण करते हुए महाप्रभु रामचरणजी महाराज की शिक्षा, उनके आदर्शो को जन जन तक पहुंचाने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महाप्रभु रामचरणजी स्वामी के रचित ग्रंथ ‘अणभै वाणी और उनके शैक्षिक, नैतिक, मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए रामस्नेही संत व साहित्य का अकूत भंडार है। उन्होंने कहा कि शोधपत्र के प्रकाशन से जन जन में इसे प्रसारित करने में आसानी होगी। आचार्यश्री ने महाप्रभु रामचरणजी महाराज को युगदृष्टा बताते हुए कहा कि उनके उपदेश आज भी वैश्विक दौर में भी प्रांसगिक है। उन्होंने डा. अंकिता दाधीच को आर्शिवाद देते हुए कहा कि उनकी साहित्य के प्रति ललक बनी रहे। कवि योगेंद्र शर्मा ने महाप्रभु रामचरणजी महाराज व रामस्नेही संप्रदाय के प्रति नमन होते हुए सनातन धर्म की रक्षा के लिए ओझ से संबंधित अपनी काव्यरचना के माध्यम से सभी को रोमाचिंत कर दिया।