ठीकरिया|ईश्वरीय सत्ता की अनुभूति और फलसिद्धि के लिए नियमित आराधना और वैदिक व पौराणिक पद्धति से साधना दैनिक चर्या में लाना आवश्यक है। ब्राह्मण अपने कर्म को परिष्कृत भाव से अपनाते हुए संस्कार के साथ आगे बढ़ता है तो द्विजत्व को प्राप्त करता है। यह बात ठीकरिया की संस्कृत पाठशाला में आयोजित ब्रह्म साधना गोष्ठी में वक्ताओं ने कही। श्री त्रिवेदी मेवाड़ा ब्राह्मण समाज की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त आरएएस टी आर जोशी ने की। उन्होंने कहा कि समय की मांग के अनुसार बालकों में कर्मकाण्ड के संस्कार डालकर उनके जीवन को अध्यात्म की ओर मोड़ा जा सकता है। ठीकरिया व बड़ोदिया के त्रिमेस पंचों की संयुक्त गोष्ठी में हुए मंथन में साधना से सिद्धि पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि विनोद पानेरी ने दैनिक वार के अनुसार अधि देवताओं का स्तवन करने और सिद्ध मंत्रों की साधना से जीवन को खुशहाल बनाने का आह्वान किया। उन्होंने पुस्तक में संकलित विभिन्न दुर्लभ स्तोत्र एवं पूजा पद्धति पर प्रकाश डाला। इस मौके पर शिक्षाविद देवीलाल पानेरी, ठीकरिया समाज अध्यक्ष मोहनलाल शुक्ला, बड़ोदिया अध्यक्ष विनोद शुक्ला, जगदीश जोशी, हीरालाल जोशी किशोर ठाकुर, पवन जोशी, दीपक शुक्ला, जगदीश ठाकुर, योगेश ठाकुर ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में कर्मकांड एवं संस्कार शिविर में भाग ले रहे विद्यार्थियों को विनोद पानेरी द्वारा तैयार की गई दुर्लभ स्तोत्र संकलन की पुस्तक पूजन विधानामृत का निःशुल्क वितरण किया गया। आरम्भ में वनेश्वर त्रिवेदी, मणिशंकर ठाकुर, परमेश्वर उपाध्याय, मोहनलाल रख, किशनलाल रख, विनोद ठाकुर, भंवरलाल उपाध्याय सिद्धिशंकर पानेरी, नवीन त्रिवेदी, मुकेश शुक्ला, शिवशंकर उपाध्याय विजेंद्र रख, भूपेश ठाकुर ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान नरेश जोशी, मनोज शुक्ला,रोहन शुक्ला,पुष्पेंद्र रख, मनोज रख रामेश्वर जोशी, आशुतोष रख, हर्ष शुक्ला सहित बाल विप्र टोली ने पौराणिक मंत्रों का सस्वर उच्चारण कर भगवदस्मरण किया। गोष्ठी का संचालन विनोद त्रिवेदी ने किया। आभार भगवतीशंकर ठाकुर ने व्यक्त किया। ये जानकारी विनोद त्रिवेदी ने दी।