अपनाई मेहनत की राह तो छोड़ा पलायन

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अपनाई मेहनत की राह तो छोड़ा पलायन

सज्जनगढ़,बांसवाड़ा,अरूण जोशी ब्यूरो चीफ : दक्षीणी राजस्थान के बाँसवाडा जिले से करीब 50 किलोमिटर दूर बसा गाँव खुन्दनी हाला जो की पूरी तरह से आदिवासी परिपेक्ष में बसा हुआ है और अधिकतर परिवार खेती से ज्यादा पलायन की राह देखते है इसकी मुख्य वजह वर्षा आधारीत खेती एवं पानी की कमी और खेती में नयी नयी तकनीकी का अभाव I गाँव में कही परिवार ऐसे भी है जो कि पूरे के पूरे परिवार पलायन कर दुसरे राज्यों गुजरात,मध्ये प्रदेश, महाराष्ट में जा बसते है। कही परिवार में सिर्फ बच्चे ही पीछे छुट जाते है। क्योकि जीवन बसर करने के लिए ईन राज्यों में आमदनी अच्छी मिल जाती है I गाँव में पानी की समस्या मूल है क्योकि जब खेती का समय आता तो पानी की समस्या एक मुख्य समस्या बन कर खडी हो जाती है। यहां परिवारों के पलायन के मुख्य बिन्दुओ में से एक है I इन्ही सभी घटनाओ के बीच हम बात करते है गाँव के ही युवा विनोद डामोर पिता सुन्दर डामोर उम्र 31 वर्ष गांव खुन्दनी हाला का। कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन भीलकुआ ब्लॉक सज्जनगढ़ की। विनोद बी.एड किया हुआ। एक होनहार युवा लेकिन अवसर के अभाव से विनोद को गुजरात पलायन करना पड़ा। ताकि परिवार का गुजर बसर हो सके I समय ऐसा आ गया था की विनोद का गाँव में आना जाना काफी कम हो गया था। इससे नुकसान यह हुआ की विनोद सरकारी भर्तियो से तो दूर हो ही गया। साथ ही किसी भी सामाजिक सुरक्षा योजनाओ से वंचित हो गया I इसी बीच विनोद डामोर का गाँव में आना हुआ। तब वागधारा संस्था द्वारा ग्राम स्वराज समूह की मासिक बैठक का आयोजन किया जा रहा था। विनोद ने भी रूचि पूर्वक इस बैठक में भाग लिया और सारी बातो को अच्छे से समझा। मीटिंग में विनोद ने सभी बातें ध्यान से सुनी जो कि खेती-बाड़ी करने और खेती बाड़ी के साथ ही अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को कैसे मजबूत किया जाए। इन मुद्दों पर संस्था द्वारा चर्चा चल रही थी।विनोद द्वारा सारी बातो को अच्छे से समझ कर एक छोटा सा प्रयास करने का निश्चय किया।विनोद ने सारी बात अपने परिवार के साथ चर्चा कि और निश्चय किया की अपने परिवार के साथ रह कर कुछ काम करे जिसमे खेती को प्राथमिकता दी जाए I विनोद निरंतर बैठकों में भाग लेने लगा और शिक्षित होने की वजह से ग्राम स्वराज समूह की अध्यक्षता विनोद को दी गई। इस से विनोद ने काफी हुनर सीखे जिसमे विभिन प्रकार की जैविक दवाई,देसी खाद आदि का प्रयोग किया। इसके साथ साथ विनोद ने अपनी एक छोटी सी बगिया तैयार कि जिसमे पहले घर में उपयोग होने वाली सब्जी लगाईं जब आवक ज्यादा हुई तो विनोद अपने खेत पर सब्जीयो की नर्सरी तैयार करी, जिसमे बैगन, टमाटर,और मिर्च आदि किया | तैयार करने के बाद विनोद ने बाजार में बेचना शुरू किया | बाजार से आय प्राप्त होने लगी तो सोचा की यही काम अच्छा है, इससे घर परिवार के साथ रह कर अच्छा कार्य किया जा सकता है | पहले वर्ष में विनोद ने 50 से 60 हजार आय सब्जी की नर्सरी से पोध बेच कर करी, इससे विनोद का होसला और बुलंद हुआ और निश्चय किया की 1 बीघा खेत में सब्जी एवं उसकी नर्सरी तैयार करूंगा, विनोद का निश्चय एवं आत्मविश्वास इतना बढ़ गया की उसने सामर्थ्य के साथ अपने खेत में सब्जी की नर्सरी तैयार करना शुरू किया।जिसमे बैगन, टमाटर, मिर्च, प्याज आदि की नर्सरी तैयार कर बाजार में बेचना शुरूं किया | जिससे विनोद की आमदनी काफी होने लगी | इससे उत्साहित होकर विनोद ने निश्चय किया की अपने गाँव में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है | विनोद गाँव के लिए रोल माडल बन गया है,आज विनोद गाँव के पलायन परिवारों को खेती बाड़ी के लिए प्रेरित कर रहा है ताकि विनोद जैसे पढ़े लिखे लोग गाँव से पलायन नही करे | विनोद कहता है की वागधारा संस्थान की वजह से मेरी जिन्दगी में नया बदलाव आया है | यह बदलाव में गाँव के हर घर हर यूवा में चाहता हूँ | विनोद इसके लिए नियमित लोगो के बिच जाकर अपनी कहानी साझा करता है साथ ही गाँव के यूवा जो मजदूरी के लिए बाहर जाते है | उनको प्रेरित कर रहा है ताकि घर परिवार के साथ अपने गाँव में रहकर भी बेहतर काम किया जा सकता है | विनोद की कामयाबी से प्रेरित होकर खुन्दनी हाला गाँव के कई यूवा खेती की तरफ रूख कर चुके है | विनोद का कहना है की वाग्धारा संस्था ने मेरे जीवन में नई रौशनी कि किरण जलाई है उसी तरह में गाँव के हर इन्सान के जीवन में नई रौशनी फेला कर रहूँगा | विनोद के इरादे एवं निश्चय के कई गाँव वाले कायल है | गाँव में सर्वहित के लिए कार्य करने वाला विनोद गाँव के लिए फरिस्ता सा बन गया है | संस्था द्वारा आयोजित बैठक एवं प्रशिक्षण में विनोद नियमित भाग लेता है | साथ ही हर बात को गाँव के हर सदस्य तक पहुंचता है | ग्राम विकास एवं समुदाय जागरूकता के लिए नियमित जन संपर्क करता रहता है | विनोद कहता है की जिस तरह वाग्धारा ने मुझे नई रह दिखाई है मै भी गाँव के हर परिवार को नई राह दिखाने के लिए हमेशा तत्पर रहूँगा | इस साल विनोद ने अलग-अलग नर्सरी तैयार की है जिसकी अनुमानित आया 1 लाख रुपया तक है | हर वक़्त विनोद संस्था एवं संस्था के कार्मिको का आभार व्यक्त करता नजर आता है | विनोद का कहना है की मै गाँव के हर परिवार को सक्षम बनाने के लिए काम करता रहूँगा |


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