करवा की पूजा कर चांद को अर्घ्य दे चलनी से पति का किया दीदार

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अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने रखा करवा चौथ का निर्जला व्रत

करवा की पूजा कर चांद को अर्घ्य दे चलनी से पति का किया दीदार

प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल रखती है।पति की दीर्घायु की कामना को लेकर सुहागिनों ने बुधवार को करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखा। दोपहर बाद से अलग-अलग मोहल्लों में समूह में करवा के लिए महिलाएं एकत्र हुई। करवा के दौरान माता पार्वती के व्रत की कथा सुनाई गई इसके जरिए उन्होंने भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी। ऐसी मान्यता है कि जो सुहागिन चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करती है उसे किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर सुहागिनों ने करवा चौथ व्रत की कथा सुनी। चंद्रमा मन का कारक है इसलिए चंद्रमा की पूजा से मन की चंचलता से मन नियंत्रित रहता है।दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को सोलह श्रृंगार कर महिलाओं ने करवा की पूजा की। रात में चांद को अर्घ्य देकर चलनी से पति का दीदार किया। सुहागिनों ने भगवान गणेश से पति की दीर्घायु की कामना की। बुधवार को अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ पूरे क्षेत्र में विधि विधान से मनाया गया। सुहागिन महिलाएं दो दिनों से करवा चौथ के व्रत को लेकर तैयारियों में जुटी रही। महिलाओं ने करवा पूजन सामग्री श्रृंगार के सामान की खरीदारी की। बुधवार को सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखा। महिलाओं ने पूरा दिन भजन कीर्तन में बिताया तथा रात को करवा पूजन के बाद चलनी से चांद और पति का दीदार किया। तत्पश्चात सुहागिनों ने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया और भगवान गणेश से पति के दीर्घायु की कामना की। नव विवाहितों में भी करवा चौथ के व्रत का क्रेज रहा।


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