प्रतापगढ़, बांसवाड़ा।अरुण जोशी। जिसके चित्त में ईश्वर है, उसे सदा आनंद ही आनंद है। “सच्चिदानंद स्वरूपाय
विश्वोत्पत्यादि हेतवे, ताप त्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नमः’ श्लोक के साथ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान गंगा यज्ञ का उद्घोष श्री रोकडिया हनुमान जी मंदिर में महामंडलेश्वर 1008 श्री ध्यान योगी महर्षि उत्तमस्वामी महाराज के मुखारविंद से हुआ। महर्षि उत्तम स्वामी जी महाराज ने कहा- जिस के मन में सत्य है, उसे ईश्वरीय आनंद की प्राप्ति निश्चित है। ईश्वर का जो सत्य स्वरूप है, वही विश्व की उत्पत्ति का कारण है, जो मानव के तीनों ताप- दैहिक, दैविक, भौतिक ताप का विनाश करता है-ऐसे भगवान श्री कृष्ण को हम सब नमन करते हैं। महर्षि उत्तम स्वामी जी ने कहा- भागवत में नाम स्मरण का बड़ा महत्व बताया है l ईश्वर का नाम जिस के मन में है उसे ही ईश्वरीय आनंद की प्राप्ति होती है। आज पौथी पूजन और भजन से शुरू हुई कथा में गुरूदेव ने प्रारंभ में हजारों भक्त जनों से हनुमान चालीसा का सामुहिक पाठ करवाया। भक्तजनो के लिए प्रतिदिन 10 बजे गांधी चौराहा से कथा मे आने के लिए और कथा-आरती -प्रसादी के बाद जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है। कथा में सनातन धर्म उत्सव समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश ओझा संरक्षक, रोकडिया हनुमान जी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष भवरलाल व्यास, गुरु भक्त मंडल के रवि सोनी आदि ने गुरूदेव का पूजन कर आशीर्वाद लिया। ये जानकारी गुरु भक्त मंडल के चन्द्रशेखर मेहता” ने दी। मुख्य यजमान कमलेश पाटीदार ने पौथी पूजन किया। गोपाल टांक दिनेश टाक परिवार भोजन प्रसादी के लाभार्थी रहे। भोजन प्रसादी यहां कथा के बाद प्रतिदिन हो रही।