त्रिकोण-चतुष्कोण के साथ जीवन के दृष्टिकोण को भी पढ़ें – संत दिग्विजय राम

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त्रिकोण-चतुष्कोण के साथ जीवन के दृष्टिकोण को भी पढ़ें – संत दिग्विजय राम

-नकारात्मकता में सकारात्मक ढूंढ़ने का दृष्टिकोण हैं भक्त नरसी

-पिता-पुत्री के भावपूर्ण संवाद पर श्रद्धालुओं की छलछलाई आंखें

-पलाना खुर्द में नानी बाई का मायरा कथा महोत्सव परवान पर

-दूसरे दिन भक्तिगीतों पर नाच उठा पूरा द्वारिकाधाम

-प्रभातफेरी और घर-घर राम, जय-जय राम अभियान जारी

-रात को घर-घर रंगोली-अल्पना और दीप प्रज्वलन

पलाना खुर्द/उदयपुर, 17 नवम्बर। हम त्रिकोण, चतुष्कोण, अष्टकोण तो पढ़ते हैं, लेकिन जीवन का दृष्टिकोण नहीं पढ़ते। जीवन का सकारात्मक दृष्टिकोण हमारी कथाएं सिखाती हैं। भक्त नरसी अपने आप में नकारात्मकता में सकारात्मकता को ढूंढ़ने वाले व्यक्तित्व हैं। वे नकारात्मकता में भी सकारात्मकता ढूंढ़ लेते थे। हमें भक्त नरसी की तरह ही प्रभु कृपा से जो प्राप्त है उसी को पर्याप्त मानना चाहिए।

यह बात अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास रामस्नेही संत दिग्विजय राम महाराज ने यहां उदयपुर जिले की मावली तहसील के पलाना खुर्द में माहेश्वरी समाज के तत्वावधान में चल रहे नानी बाई का मायरा कथा महोत्सव के दूसरे दिन कही। उन्होंने कहा कि भक्त नरसी की कथा जीवन में सामंजस्यता सिखाती है। जीवन में यदि ‘जेहि बिधि राखे राम, तेहि बिधि रहिये’ का दृष्टिकोण रखेंगे, तो हम भी नकारात्मकता में सकारात्मकता ढूंढ़ लेंगे।

कथा व्यास ने जीवन का दृष्टिकोण समझाने के लिए अचार और चटनी का उदाहरण देते हुए कहा कि अचार में खट्टे, मीठे, कड़वे, कसैले, खारे, तीखे स्वाद वाले तत्वों के मिश्रण के बावजूद उसका स्वाद सभी को लुभाता है और लम्बे समय तक चलता है। लेकिन, इसके विपरीत चटनी दो दिन से ज्यादा नहीं चलती। इसलिए हमारी नकारात्मक स्मृतियों को चटनी की तरह रखना चाहिए और अच्छी सकारात्मक स्मृतियों को अचार की तरह संजोना चाहिए।

कथा प्रसंग के मध्य ही उन्होंने भक्ति में प्रेम और प्रतीक्षा का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि प्रेम करना है तो भक्तिमती मीरां जैसा करना चाहिए जिन्हें विष भी अमृत समान लगा और प्रतीक्षा सीखनी है तो माता शबरी से सीखनी होगी, जिन्होंने अपने राम के लिए बरसों प्रतीक्षा की और राम आए। उन्होंने ‘बेर चुन लो कल काम आएंगे, कभी हमारी कुटिया पर भी राम आएंगे’ पंक्ति सुनाते हुए गुरुवार रात पलाना खुर्द में हुए ‘हर घर राम-जय जय राम’ कार्यक्रम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अपने आप में यह कार्यक्रम अनूठा था जो आज तक नहीं हुआ। दरअसल, इस कार्यक्रम के तहत गुरुवार रात को हर घर के बार रंगोली, अल्पना सजाई गई और पुष्पों से राम लिखकर दीप प्रज्वलित किए गए। इसी दौरान, संत वृंद गांव के भ्रमण पर निकले तो यह दृश्य देखकर अभिभूत हो उठे। संत वृंद ने हर घर के बाहर रुककर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। संत वृंद ने इस तरह के कार्यक्रम को पलाना खुर्द में ऐतिहासिक कार्यक्रम की संज्ञा प्रदान की।

इससे पूर्व, दूसरे दिन की कथा का क्रम संत वृंद के वंदन-अभिनंदन से हुआ। अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास संत दिग्विजय राम महाराज सहित उनके गुरु संत रमताराम महाराज तथा उदयपुर चांदपोल रामद्वारा के महंत नरपतराम महाराज की माहेश्वरी समाज के प्रबुद्धजनों द्वारा चरण वंदना की गई। इसके उपरांत समाज की बेटियों ने ‘अभिनंदनम्’ नृत्य की मोहक प्रस्तुति दी। इसके बाद कथा व्यास दिग्विजय राम महाराज ने ‘द्वारिका रो नाथ म्हारो रणछोड़ छे, थ्हे मन माया लगाड़ी रे’ भजन को अपनी निर्मल वाणी में सुर देना शुरू किया तो पूरा पाण्डाल ही नाच उठा, मानो कथा व्यास की मधुर वाणी ने हर मन को मोहित कर लिया हो। महिलाएं-पुरुष मंच के पास ही नहीं, बल्कि मुख्य द्वार से मंच तक बने गलियारे में खिंचे चले आए और भक्तिरस में भावविभोर होकर झूमकर नाचे।

कथा के दूसरे दिन भक्त नरसी के पास मायरे के लिए लग्न पत्रिका लेकर जोशीजी के पहुंचने, लग्न पत्रिका को द्वारिकानाथ को समर्पित करने, भक्त नरसी के संत मित्रों की टोली के साथ तुम्बे, मालाएं, गोपी चंदन आदि सामग्री लेकर मायरे के लिए रवाना होने, मार्ग में बैलगाड़ी के टूटने और सहायता के लिए द्वारिकानाथ के आने, समधि के गांव पहुंचने के बाद भक्त नरसी की पुत्री नानी बाई को ससुराल परिवार द्वारा ताने मारने के प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन श्रद्धालुओं को भावासिक्त कर गया। इन्हीं प्रसंगों के बीच जब कथा व्यास ने बेटियों के महत्व को समझाते हुए कहा कि बेटी धन्य होती है जो दो दिन बाद ही ससुराल को अपना घर मान लेती हैं, तब कथा श्रवण कर रहीं कई बेटियों की आंखें छलछला गईं। कथा व्यास ने कहा कि बेटियां दो कुल को संभालती हैं। उन्होंने मां को भगवान का स्वरूप बताते हुए कहा कि भगवान हर जगह उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन उन्होंने मां के रूप में हर व्यक्ति को भगवान का स्वरूप प्रदान किया है। मां स्वयं कष्ट उठा लेती हैं, लेकिन अपने बच्चों को हर समय कष्ट से दूर रखने का प्रयास करती है। बिना मां के परिवार सूना है, संसार सूना है।

ताने सुनने के बाद नानी बाई के भक्त नरसी के समक्ष अपने मन के आर्तनाद के विवरण पर द्वारिकाधाम पाण्डाल में कथा सुन रहे हर माता-पिता की आंखें छलछला आईं। भक्त नरसी ने नानीबाई को वचन देते हुए घोषणा की कि या तो तेरा भाई सांवरिया आकर मायरा भरेगा, या संसार से मायरे की रीत ही खत्म हो जाएगी। इसी प्रसंग के साथ दूसरे दिन की कथा को विश्राम दिया गया और तीसरे दिन की कथा में प्रभु द्वारिकाधीश के मायरा लेकर आने के भावपूर्ण प्रसंग होगा।

‘घर-घर राम, जय-जय राम’

-उदयपुर जिले की मावली तहसील का पलाना खुर्द गांव इन दिनों भक्ति की सरिता में गोते लगा रहा है। भोर होते ही रामधुन और भक्ति गीतों के साथ प्रभातफेरी हो रही है, तो सुबह-शाम घर-घर राम, जय-जय राम अभियान के तहत रामस्नेही संत प्रवर का आशीर्वाद गांव के हर घर पर बरस रहा है। पलाना खुर्द निवासियों में इतना उल्लास है कि हर घर के बाहर नियमित रूप से रंगोली, अल्पना सजाई जा रही है और माटी के दीपक प्रज्वलित किए जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि दीपोत्सव चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि पलाना खुर्द माहेश्वरी समाज के तत्वावधान में गांव में नानी बाई का मायरा कथा का आयोजन किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास संत दिग्विजय राम महाराज सहित उनके गुरु संत रमताराम महाराज तथा उदयपुर चांदपोल रामद्वारा के महंत नरपतराम महाराज भी यहीं पर मौजूद हैं। ऐसा पहला अवसर है जब गांव में तीन संत बिराजमान हैं और यह भी ऐतिहासिक अवसर है कि गांव का हर परिवार इस भक्ति गंगा का पुण्य लाभ लेने यहां पहुंचा है।

तीन दिवसीय इस आध्यात्मिक, आत्मीय, स्नेह एवं प्रेम के महायज्ञ के तहत शुक्रवार सुबह अलग-अलग परिवारों ने संत वृंद की पधरावणी करवाई। इससे पूर्व गुरुवार रात संत वृंद भक्तों के साथ गांव में भ्रमण पर निकले। इस दौरान उनका हर घर के बाहर वंदन किया गया। संत वृंद ने हर परिवार को आशीर्वाद प्रदान किया। पलाना खुर्द गांव की गलियां ‘राम-राम’ नाम से गूंजती रहीं।


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