पुष्टि मार्ग की प्रधान पीठ नाथद्वारा मंदिर में आषाढ़ी तौल से मिला वर्ष भर का जानकारी का सटीक फ
सदीयो से श्रीजी बावा के मंदिर के खर्च भण्डार में अदभुत परख व्यवस्था हे जो की सटीक ही होतीआई हे
नाथद्वारा |वल्लभ सम प्रदाय कि प्रधान पीठ नाथद्वारा मंदिर में प्रतिवर्ष की भाती इस वर्ष भी सदीयो पुरानी परंपरा अनुसार आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) को श्रीजी मंदिर के ‘खर्च भण्डार’ में प्राचीन परंम परानुसार विभिन्न 27 धान्यादी भौतिक वस्तुओं के आगामी वर्ष में पैदावार एवं व्यापार हेतु पूर्वानुमान लगाया जाता है जिसे ‘आषाढ़ी तौलना’ कहते हैं. छोटे-बड़े विभिन्न पात्रों में भर कर मूंग हरा, मक्की (सफेद व पीली), बाजरा, ज्वार, साल (सफेद व लाल), चमला (छोटा व मोटा), तिल्ली (सफेद व काली), उड़द, मोठ, ग्वार, कपास्या (कपास), जव (जौ), गेहूं (काठा व चंद्रेसी), चना (पीला व लाल), सरसों (पीली व लाल), गुड, नमक, काली मिट्टी (मनुष्य के भाव से), लाल मिट्टी (पशु आदि के भाव से) एवं घांस (चारा) आदि 27 भौतिक सामग्रियों को श्रीजी के मुख्य पंड्या व खर्च भंडारी आदि की देखरेख में तौल कर खर्च भण्डार के एक कोठे में रख दिया जाता हैं.अगले दिन श्रावण कृष्ण प्रतिपदा के दिन उन सभी पात्रों में रखी वस्तुओं को पुनः श्रीजी के मुख्य पंड्या आदि के सानिध्य में तौला जाता है एवं इन में हुई वृद्धि अथवा कमी के आधार पर आने वाले वर्ष में फसलों, धन-धान्य, पशुओं के चारे, आपदाओं, वर्षा की मात्रा, वायु का रुख आदि का अनुमान लगाया जाता है जो कि कई हद तक आने वाले समय का सटीक चित्र प्रदर्शितकरता है.आसपास के गावों के ग्रामीण आदि इस आधार पर आगामी वर्ष में फसलों की बुवाई आदि की योजना बनाते हैं वहीं कई अनाज आदि के व्यापारी अपने व्यापार में स्टॉक आदि की योजना भी इसी आधार पर बनाते हैं. कल सायं आषाढ़ी तौल की परंपरागत प्रक्रिया मन्दिर चौक में स्थित खर्च-भण्डार में खर्च भण्डारी और श्रीजी के मुख्य पंड्याजी के सानिध्य में की गयी थी आज उन सभी सामग्रियों की पुनः गणना कर इस वर्ष का अनुमान कलमबद्ध किया गया. श्रीजी कृपा से इस वर्ष धान्य की पैदावार श्रेष्ठ बतायी गयी है, वर्षा सामान्य से अधिक (कुल वर्षा की छह आना आषाढ़ मास में, पाँच आना श्रावण मास में, तीन आना भाद्रपद मास में व शेष दो आना आश्विन मास में) होने का अनुमान है वायु पश्चिम दिशा की होगी. मनुष्य में आधा रत्ती एवं पशुधन में आधा रत्ती की एवं घास में डेढ़ रत्ती की घटोत्तरी होगी.