नई दिल्लीः राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि 75 सालों में संविधान कैसे आगे बढ़ा, इसकी भी चर्चा होनी चाहिए। हमारे संविधान को अपरिवर्तनशील नहीं माना गया। परिवर्तन इस जीवन का मंत्र है। 16 साल में हमने 22 परिवर्तन किए, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए। कांग्रेस पार्टी 49वां संशोधन करते हुए इतिहास की सभी सीमाओं को लांघ दिया. इसमें इंदिरा गांधी के चुनाव को इलहाबाद हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. अभी तो बहुत से लोग EVM में दोष निकालते हैं. EVM को लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं. एक जगह EVM सही है एक जगह खराब है.
झारखंड में जीते तो नए कपड़े पहनकर ले ली शपथ:
महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हो गया और दूरबीन लेकर दिखाई नहीं देता. उसी दिन झारखंड में जीते हैं तो टप से नए कपड़े पहनकर जाकर शपथ ले ली. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंदिरा गांधी ने संविधान में संशोधन करके मामले की न्यायिक जांच पर रोक लगा दिया. ये जो कम्युनिस्ट भाई अधिकारों की बात करते हैं. रात में कभी सोचना भैया किसके साथ बैठे हो. एक कहता है कि मैं शासक हूं, मेरी कोई जांच नहीं कर सकते. और हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि प्रधान सेवक हूं. उन्होंने एक देश, एक चुनाव बिल पर संसद और विधानसभाओं के कार्यकाल बढ़ाने की बात कर रहे थे कि नहीं कर सकते है. इन्होंने इमरजेंसी में विधानसभाओं का कार्यकाल ही बढ़ाकर 5 से 6 साल कर दिया. क्योंकि इन्हें डर था यदि चुनाव हुए तो यह हार जाएंगे.
अमित शाह ने गिनाए 5 बड़े संविधान संशोधनः
राज्यसभा में अमित शाह ने बीजेपी के 5 बड़े संविधान संशोधन गिनाए. उन्होंने कहा कि पहला संशोधन करके हम GST को लेकर आए. इसके लिए हमने कानून लाने का काम किया. दूसरा संसोधन नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक देने के लिए किया गया. तीसरा संशोधन था, किसी भी जिनकी आरक्षण का फायदा नहीं मिलता है. उन गरीब परिवारओं और बच्चों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए किया गया. चौथा संशोधन OBC को लेकर था, जिसके जरिए राज्यों को अधिकार दिया गया. 5वां संशोधन सदन में मातृ शक्ति को ताकत प्रदान करने के लिए किया गया, जिसे महिला आरक्षण कहते हैं.
संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गयाः
मैं तथ्यों के आधार पर बताना चाहता हूं कि हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गया है. समय के साथ-साथ देश भी बदलना चाहिए. कानून बदलना चाहिए और समाज को भी बदलना चाहिए. बीजेपी ने 16 साल राज किया, इन सालों में हमने 22 बार संविधान के भीतर परिवर्तन किया. जबकि कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 बदलाव हुए. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने बदलाव किए लेकिन, बदलाव का टेस्ट कैसा था. परिवर्तन करने का उद्देश्य क्या था’?
संविधान लहराने का मुद्दा नहींः
अमित शाह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान लहराने का मुद्दा नहीं, विश्वास का विषय है. संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए. इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखने को मिली. किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं है. संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया. संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है.
लोकसभा में किसी को मालूम नहीं था, जागरुकता नहीं थी. महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए, एक पत्रकार के हाथ में आ गया, देखो तो वो कोरा था. प्रस्तावना तक नहीं थी. 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है. हार का कारण ढूंढते हैं. बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया.
कांग्रेस ने मुस्लिम बहनों के साथ किया अन्यायः
जिस दिन इस सदन में 33 फीसदी नारी शक्ति बैठेगी. संविधान निर्माताओं की कल्पना साकार हो जाएगी. इसके अलावा भी हम कई कानून लेकर आए हैं. वोटबैंक की राजनीति करके मुस्लिम बहनों के साथ इतने साल तक अन्याय करने का काम कांग्रेस ने किया है. हमने तो ट्रिपल तलाक समाप्त कर मुस्लिम माताओं और बहनों को न्याय देने का काम किया. नई शिक्षा नीति भी हम लाए हैं और कम्युनिस्ट भी विरोध नहीं कर पाए. शिक्षा नीति आए और कम्युनिस्ट विरोध ना करें, पहली बार ऐसा हुआ है. किसी ने बताया कि आप इतनी अच्छी शिक्षा नीति लाए हो कि विरोध करेंगे तो जनता विरोध कर देगी. नई भारतीय न्याय संहिता के जरिये देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद करने का काम इस सरकार ने किया है. कई साल तक बजट शाम को 5.30 बजे रखते थे. क्योंकि अंग्रेज की रानी की घड़ी में तब 11 बजते थे. उसे किसी ने बदला तो वाजपेयी जी ने बदला है.
हमें किसी की परंपरा स्वीकार नहींः
हम एक आजाद मुल्क हैं, हमें किसी की परंपरा स्वीकार नहीं है. अगर इंडिया के चश्मे से भारत को देखोगे तो पूरा जीवन यह समझ में नहीं आएगा. इसलिए इन्होंने अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया रखा है. गुलामी की हर परंपरा को हम समाप्त करना चाहते हैं. कांग्रेस को एक परिवार की जागीर समझते ही थे. लेकिन संविधान को भी एक परिवार की जागीर बनाने चले थे. कोई भी काम नियम के मुताबिक नहीं किए. एक भूखंड दे दिया गया, 35 ए को बदल दिया गया. जो कहते थे कि हम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे. उन्हें हमारे देश की जनता और हमारे संविधान ने जवाब दिया है. आज हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. आज ब्रिटेन भी अर्थतंत्र की तालिका में हमारे पीछे खड़ा है.
मोदी ने OBC आयोग को दी मान्यता:
कुछ लोग आज आरक्षण-आरक्षण चिल्लाते हैं. आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी का रुख क्या रहा है. 1955 में OBC आरक्षण के लिए काका कालेलकर कमेटी बनी थी, इसकी रिपोर्ट कहां है’? हमने दोनों सदनों में ढूंढा, कहीं नहीं मिला है. छिपा कैसे सकते हो, ये बाबासाहब का संविधान है. कोई भी रिपोर्ट आती है तो उसे कैबिनेट में रखने के बाद सदन में लाते हैं. इन्होंने रिपोर्ट को लाइब्रेरी में रख दिया. इस रिपोर्ट पर ध्यान दिए होते तो मंडल कमीशन की जरूरत नहीं पड़ती.
मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर अमल तब हुआ जब इनकी सरकार गई. जब उस रिपोर्ट को स्वीकार किया गया. तब लोकसभा में विपक्ष के नेता राजीव गांधी ने सबसे लंबा भाषण दिया. और कहा कि पिछड़ों को आरक्षण देने से योग्यता का अभाव हो जाएगा. मोदी ने OBC आयोग को मान्यता दी, नीटी-यूजी में आरक्षण दिया. इन्होंने क्या किया, झूठ बोलना शुरू कर दिया कि आरक्षण बढ़ा देंगे. आरक्षण क्यों बढ़ाना है, ये बताता हूं. इन्होंने 50 फीसदी से अधिक आरक्षण करने की वकालत की है. देश के दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण अस्तित्व में है, ये गैर संवैधानिक है. संविधान सभा की डिबेट पढ़ लीजिए, स्पष्ट किया गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा. आरक्षण पिछड़ापन के आधार पर होगा. कांग्रेस की सरकार थी, तो धर्म के आधार पर आरक्षण दिया गया. 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. दोनों सदन में जब तक बीजेपी का एक भी सदस्य है, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे. ये संविधान विरोधी है.
हमने ही उत्तराखंड में UCC लाने का काम किया- शाह
आमित शाह ने मुस्लिम पर्सनल लॉ का जिक्र करते हुए कांग्रेस को घेरा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह स्पष्ट करें कि एक कानून होना चाहिए या नहीं. इन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ हिंदू कोड बिल भी ला दिया. हम तो चाहते हैं कि कानून नए हो. हिंदू कोड बिल में कोई पुराना नियम नहीं है. सामान्य कानून को ही इन्होंने हिंदू कोड बिल का नाम दे दिया. मान लिया कि पर्सनल लॉ होना चाहिए, तो पूरा शरिया लागू करिए. विवाह और तलाक के लिए पर्सनल लॉ, ये तुष्टिकरण की शुरुआत यहीं से हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने कई बार UCC लाने की बात कही है. आप तुष्टिकरण नहीं ला सकते, हमने ही उत्तराखंड में UCC लाने का काम किया है.
आजकल आंबेडकर आंबेडकर एक फैशनः
दिग्विजय सिंह कहते हैं कि कौन रोकता है, हम खुद रोकते हैं. सुनने के लिए धैर्य होना चाहिए. समाज में इतना बड़ा बदलाव लाने के लिए लागू कानून की न्यायिक मीमांशा होगी. बदलाव के लिए जो सुझाव आएंगे, उस पर विचार कर हर राज्य में बीजेपी की सरकार इसे लाएगी. आजकल आंबेडकर आंबेडकर एक फैशन हो गया है. इतना नाम भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता. आंबेडकर का नाम और ज्यादा लो, लेकिन उनके विचारों का भी अनुसरण करो.
सरदार पटेल के अथक परिश्रम के कारण यह देश यहां खड़ाः
संविधान पर चर्चा युवा पीढी के लिए अच्छा है. देश कितना आगे बढ़ा, जनता को अहसास ये चर्चा कराएगी. संविधान पर चर्चा जनता को कई घटनाओं का आभास कराएगी. यह हमारे संविधान के कारण हमारा देश कितना आगे बढ़ा इसका आभास कराएगी. जब संविधान की भावनाओं को दर किनाकर कर कोई अपने लिए तोड़ मरोड़कर आगे चलता है तो किस प्रकार की घटनाएं होती हैं. जब हम आजाद हुए तब दुनियाभर के कई राजनीतिक पंडितों ने कहा था कि यह देश बिखर जाएगा. एकता हो ही नहीं सकती है. देश आर्थिक रूप से कभी भी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है. लेकिन आज जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो सरदार पटेल के अथक परिश्रम के कारण यह देश यहां खड़ा है और एकजुट है.
लोकतंत्र पाताल की गहराई तकः
सरदार पटेल की वजह से यह देश एकजुट है. इस चर्चा में हम गहराई तक गए. हमारा लोकतंत्र पाताल की गहराई तक है. ये भी साफ हुआ कि जब जब जनता ने किसी पार्टी को जनादेश दिया तो उसने सम्मान किया या नहीं किया. संविधान पर चर्चा युवा पीढ़ी के लिए अच्छा है. इस देश की जनता ने लोकतांत्रिक तरीके से अनेक तानाशाहों का अभिमान चूर-चूर करने का काम किया है.
संविधान केवल एक दस्तावेज नहींः
मोदी सरकार के लिए संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है. बल्कि वंचितों के कल्याण और राष्ट्रनिर्माण की मूल प्रेरणा है. हमारा दुनिया का विस्तृत और लिखित संविधान है. दो साल 18 महीने तक विस्तृत चर्चा हुई. शायद ही दुनिया का कोई संविधान होगा जो देश की जनता को कमेंट के लिए दिया गया. विपक्ष के साथी कह रहे थे कि चित्र लगाने का क्या मतलब है. इसके जवाब में मैं कहता हू कि अगर संदेश नहीं ले सकते तो संविधान का क्या मतलब है. हमारी हजारों साल पुरानी परंपरा है. जिन लोगों ने चित्रों को निकाल दिया है उन्होंने धोखा किया है.
संविधान में अलग-अलग धर्म के देवताओं का चित्र मिलेगाः
आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं उस मुकाम पर महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी सच हुई. हमारा संविधान, संविधान सभा की रचना और उसकी प्रक्रिया ये तीनों एक प्रकार से विश्व में अनूठे हैं. संविधान में अलग-अलग धर्म के देवताओं का चित्र मिलेगा. हमें ऐसे संविधान पर गर्व है. संविधान में जो चित्र लगे हैं वो हमारे जीवन को उद्घोषित करने वाले हैं. पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीय नजर नहीं आएगी. अमित शाह ने संविधान सभा के सदस्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतने सारे मनीषियों का विचार जिसमें हो, उस संविधान को सफल होना ही था. विदुर नीति, शांति पर्व, रामायण के विचार को भी हमने इसमें समाहित करने का प्रयास किया था. किस तरह से राजनीतिक दलों ने संविधान को आगे बढ़ाया, इसकी भी चर्चा समयोचित होगी. डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो. वह बुरा हो सकता है जिन पर उसे चलाने की जिम्मेदारी है, अगर वो अच्छे न हों.
परिवर्तन जीवन का मंत्रः
कोई संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, वह अच्छा हो सकता है अगर चलाने वाले लोग अच्छे हों. परिवर्तन जीवन का मंत्र है, उसे संविधान सभा ने स्वीकार किया था. और इसके लिए संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था. संविधान बदलने का प्रावधान अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में ही है. एक नेता आए हैं, 54 साल में खुद को युवा कहते हैं. वो चिल्लाते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे. बीजेपी ने 16 साल में 16 परिवर्तन किए, कांग्रेस ने भी परिवर्तन किए. इनका टेस्ट कैसा था. परिवर्तन का उद्देश्य क्या था. क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए परिवर्तन किए गए. या अपनी राज्यसत्ता को टिकाने के लिए परिवर्तन किए गए. इससे ही पार्टी का कैरेक्टर मालूम पड़ता है. दोनों प्रमुख दलों के चार-चार संविधान संशोधन को लेना चाहूंगा. पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ, ये संविधान सभा को ही संशोधन लेना पड़ा, 19 ए जोड़ा गया. अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए पहला संशोधन आया, तब पीएम नेहरू थे.
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