सवाई माधोपुर 7 जून। ब्राइट सन पब्लिक सी. सै. स्कूल परिसर, बाल मन्दिर कोलोनी में पूर्व चेयरमैन व एडवोकेट बद्रीलाल प्रेमलता यादव परिवार द्वारा आत्म कल्याण व सर्वजन हिताय आयोजित भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताया कि भगवान् के अंशावतार राजा पृथु ने सतयुग में सर्वप्रथम भूमि सुधार. समतलीकरण, वर्षाजल संग्रहण आदि के काम कराये। शासक का यह कर्तव्य होता है कि प्रजा के सुख में ही उसका सुख है। भागवत यहां तक बताती है कि जनता को शिक्षित किये बिना यदि शासक वर्ग कर वसूलता है तो वह पाप का भागी है। पुरंजन पुरंजनी संवाद जीव व शिव अर्थात् आत्मा व परमात्मा की एकता बताता है।
कथा व्यास ने भगवान् ऋषभदेव के धर्मात्मा पुत्र भरत के चरित को देशभक्ति से जोड़कर बताया कि प्राणों से राष्ट्र बड़ा होता है और जब हम देश के लिए मरते हैं तो राष्ट्र खड़ा होता है। प्रसंगवश राष्ट्र भक्ति के गीत से भक्तों की आंखें नम हो गई। जड़ भरत व राजा रहूगण संवाद आध्यात्मिक ज्ञान का सागर है। इसमें जड़ शरीर व चेतन आत्मा के भेद के साथ जीव की चार अवस्थाओं जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति व तुरीय या समाधि की अवस्था को समझाया गया।
पथभ्रष्ट अजामिल ने अन्त समय में अपने बेटे नारायण का नाम लेने से उसके जीवन के उद्धार का रास्ता खुल गया लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि वह पूर्व जन्म में भगवान् का बहुत बड़ा भक्त था और श्रापवश उसका धरती पर पुनः जन्म हुआ था। अंत समय में भगवान् की याद तो तभी आ सकती है जब भगवान् का जीवन भर नाम लिया हो। भगवान् का अर्धनारीश्वर अवतार नारी शक्ति के सम्मान का सूचक है। भक्त प्रह्लाद की प्रार्थना पर खंभे से नृसिंह अवतार होकर आदि राक्षस हिरण्यकशिपु का उद्धार करना हमें यह शिक्षा देता है कि भगवान् के यहां भक्तों का भाव ही काम आता है, वहां उम्र, स्त्री-पुरुष, जाति, वर्ण आदि का भेद नहीं है। गजेन्द्र उद्धार की सीख यह है कि जीव अपने कर्मों के, संस्कार के कारण विभिन्न योनियों में जन्म लेता है तथा संसार सरोवर में विषय रूप जल से अपनी प्यास बुझाने की व्यर्थ कोशिश करते हुए अन्य जीवों को परेशान करता है तो उसे स्वयं भी परेशान होना पड़ता है। आखिर ईश्वर की शरण ही उसको बचाती है। समुद्र मंथन कथानक हमें यह शिक्षा देता है कि संसार रूपी समुद्र का मंथन करोगे तो सबसे पहले विषय विष ही सामने आयेगा। वामन भगवान राक्षस राज बलि के यहां याचक इसलिए बने कि नृसिंह अवतार में भगवान ने प्रह्लाद को वचन दिया था कि अब मैं तुम्हारे कुल में किसी को मारूंगा नहीं।
कथा विराम पर रामावतार के साथ कृष्ण जन्मोत्सव को भक्तों ने खूब धूमधाम से मनाया। कथा व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री ने ईश्वर के अवतार की अवधारणा को मानव मात्र स्वयं में ही घटित होने वाली घटना के रूप में समानार्थक समझाया गया। बताया कि धरती पर पाप बढ़ने से धरती गाय का रूप लेकर देवताओं के साथ भगवान् से प्रार्थना करती है कि आप अवतार लेवें। गौ का अर्थ गाय के अलावा हमारी इंद्रियां व मनोवृत्तियों का नाम भी गौ है। हमारी असद् वृत्तियों से परेशान होकर अपने अपने अधिष्ठात्री देवताओं को साथ लेकर बुद्धि के देवता ब्रह्मा व अहंकार के देवता शंकर को साथ लेकर हमारे क्षीरसागर रूपी हृदय में विराजमान परमात्मा से प्रार्थना करती है कि हे ईश्वर! हमारी रक्षा करो। तो अवतार का एक अर्थ मानव जीवन में घट रही घटनाओं से भी है।
कथा में चढ़ावे में आ रही समस्त चढ़ावा राशि का आधा भाग ग्राम कुस्तला के हनुमानजी के मंदिर में विकास के लिए तथा शेष आधा भाग गौशाला में दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रहे कथा व्यास पं. रामपाल शर्मा शास्त्री जैसलान निःशुल्क कथा वाचन करते हैं तथा कथा में प्राप्त समस्त चढ़ावा राशि विशेषतः गौ सेवार्थ या अन्य धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यों के लिए कथा स्थल पर आयोजकों को संभला देते हैं। गत लगभग पांच वर्षों में की जा रही सभी तिहत्तर कथाओं में अनुमानित ढाई करोड़ चढ़ावा राशि विशेषकर गौशालाओं, धार्मिक स्थल विकास अथवा छात्रवृत्ति आदि के लिए परिदान की जा चुकी है। कथा के बाद आरती होकर भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।

2014 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 2015 से 2021 तक गंगापुर सिटी पोर्टल (G News Portal) का बतौर एडिटर सञ्चालन किया। 2017 से 2020 तक उन्होंने दैनिक समाचार पत्र राजस्थान खोज खबर में काम किया। 2021 से 2022 तक दैनिक भास्कर डिजिटल न्यूज और साधना न्यूज़ में। 2021 से अब तक वे आवाज आपकी न्यूज पोर्टल और गंगापुर हलचल (साप्ताहिक समाचार पत्र) में संपादक और पत्रकार हैं। साथ ही स्वतंत्र पत्रकार हैं।