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आराधना देवी श्री राम की लीलाओं का वर्णन किया विश्वामित्र प्रसंग सुनाया

आराधना देवी श्री राम की लीलाओं का वर्णन किया विश्वामित्र प्रसंग सुनाया

हमारा जीवन भी समुद्र मंथन अचार विचार से विष और अमृत दोनों निकलते हैं

गंगापुर सिटी| श्री राम कथा सेवा समिति के तत्वाधान किरण पैलेस में चल रही संगीतमय राम कथा के चतुर्थ दिवस पर सोमवार को परम पूज्य आचार्या आराधना देवी के मुखारविंद से नारी शक्ति का बखान किया साध्वी ने कहा कि भारत भूमि में ही नारी शक्ति की पूजा होती है संसार में अत्यंत कहीं नहीं नारी को इतना सम्मान मिलता, नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है महाराजा दशरथ के जन्मे रामलाला सहित चारों पुत्रों की बधाइयां देने सारे नगर वासी राजमहल दौड़ पड़े माता कौशल्या रामलाल को अंगना में लेकर आई और नगर वासियों ने रामलला के दर्शन किए और बधाई गाई रामलाल के मुख से इतना तेज प्रकाश निकल रहा था कि सूर्य देव को भी रामलाला के दर्शन के लिए ठहरना पड़ा सूर्य देव ने कहा कि मैं धन्य हो गया जो भगवान मेरे कुल में पुत्र रूप में आए सूर्य देव ठहर गए तब संध्या और रात्रि ने प्रभु से विनती की प्रभु आपके दर्शन नहीं हो रहे हैं प्रभु ने कहा कि अगले अवतार में रात्रि में जन्म लूंगा चंद्रमा की विनती पर उनको वरदान दिया कि मेरा जन्म सूर्यवंश में हुआ है लेकिन मेरे नाम के साथ आपका नाम भी जुड़ जाएगा चारों भाइयों का गुरु वशिष्ठ द्वारा नामकरण संस्कार होने के बाद यगोपवित्र संस्कार साध्वी द्वारा भगवान के नामकरण संस्कार और अन्य संस्कारों के बारे में संस्कार विधि को संगीतमय सुनाया साध्वी द्वारा कहा की आधुनिकता की दौड़ में हम अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं जीवन में 16 संस्कार होते हैं और उन सभी का महत्व है गुरु वशिष्ट जी द्वारा भगवान का नाम राम रखा जो सारे जगत को सुख देने वाला है रामचंद्र भारत लक्ष्मण शत्रुघ्न चारों भाइयों के नाम रखें साध्वी द्वारा समुद्र मंथन कथा में देवताओं की विनती करने पर महादेव ने हलाहल विष पान करने का वर्णन विस्तार से बताते हुए कहा कि महादेव ने माता पार्वती कहा की आप मेरी शक्ति है सभी देवता यह विष लेकर आए हैं बताओ क्या करना है माता पार्वती ने कहा की जगत के कल्याण में जो हो वही करें तब महादेव ने विष कंठ में धारण किया महादेव भोले की हृदय में राम बसे हैं और मुख मैं राम नाम है तब उन्होंने विष को कंठ में धारण किया साध्वी ने कहा कि हम लोगों का जीवन भी समुद्र मंथन के समान है जैसे विचार होते हैं उसी से विष और अमृत जीवन में उत्पन्न होते हैं चारों भाइयों को गुरु वशिष्ट जी के गुरुकुल में शिक्षा के लिए दशरथ द्वारा भेजा शिक्षा प्राप्त कर भगवान लौट कर आए गुरु विश्वामित्र के आगमन पर और राजा दशरथ से राम को साथ में ले जाने की बात कहने पर दशरथ के मन में उथल-पुथल हो गई उन्होंने विचार किया कि विश्वामित्र हमारे कुल में पहले हरिश्चंद्र के समय पर पधारे थे उन्हें बनारस में बेच दिया अब रामचंद्र को ले जाने आए हैं लेकिन वशिष्ठ जी के समझाने पर यज्ञ रक्षा के लिए राम लखन को विश्वामित्र जी के साथ भेजा दशरथ और विश्वामित्र का प्रसंग बहुत ही सुंदर ढंग से साध्वी द्वारा अपनी वाणी से भजन द्वारा प्रस्तुत किया जिसे श्रद्धालु मंत्र मुक्त होकर श्रवण कर रहे साध्वी ने ताड़का वध की कथा यज्ञ रक्षा सूभाउ का वध श्री राम के एक ही बाण से मारीच राक्षस को सौ योजन दूर भेजना का वृतांत सुनाया यज्ञ पूर्ण होने पर गुरु विश्वामित्र सोचा अब राम को महाराजा दशरथ के यहां भेजना चाहिए लेकिन उसी समय जनकपुरी से सीता स्वयंवर का निमंत्रण आने पर विश्वामित्र ने श्री राम से कहा कि मेरे साथ जनकपुरी चलो तब श्री राम ने कहा कि भगवान आप जहां लेकर चलने की आज्ञा देंगे हम आपके साथ वही चलेंगे श्री राम मन ही मन पुलकित हो रहे थे विश्वामित्र और राम लखन ने जनकपुरी के लिए प्रस्थान किया श्री राम कथा में राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चारों भाइयों की सजीव झांकियां सजाई जिसका श्रद्धालुओं ने मनभावन दर्शन कर भेंट अर्पित की कथा आयोजन से जुड़े राम बारात संयोजक राकेश लाला ने बताया कि 7 जनवरी मंगलवार को बालाजी चौक से दोपहर 12:00 बजे शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई भव्य और विशाल राम बारात निकाली जावेगी जिसके लिए मुख्य रास्तों पर जगह-जगह 31 स्वागत द्वार लगे हैं राम बारात का जगह स्वागत सत्कार कार्यक्रम रहेगा राम बारात शाम 4:00 बजे कथा स्थल जनकपुरी किरण पैलेस पहुंचेगी|