प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर शंकरगढ़ क्षेत्र में शिक्षा के गिरते स्तर के कारण उसकी गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होना लाजमी है। इस ओर ना तो राजनीतिक मंथन हो रहा है और ना ही सामाजिक चिंतन किया जा रहा है। बातें शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की अक्सर सुनने में आती हैं किंतु सुधार कहीं नजर नहीं आता। वहीं क्षेत्र वासियों का कहना है कि क्षेत्र की भोली भाली जनता को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि शासन को उनके बच्चों की खूब परवाह है। लेकिन उनके जो शिक्षक हैं वह सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं जिसके कारण उनके बच्चे शैक्षिक गुणवत्ता में पिछड़ रहे हैं। सरकार की गलत शिक्षा नीतियों के जो दुष्परिणाम आज सामने आ रहे हैं उनमें सुधार करने की बजाय इसका ठीकरा शिक्षकों के सिर पर फोड़ा जा रहा है जो कहां तक लाजमी है। अधिकारी गण शिक्षकों को फटकार नुमा समझाइश देते हैं कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करें। यह कैसी विडम्बना है कि स्कूलों में शिक्षक पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा स्थापित करने का भारी दबाव तो है मगर उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तैयार ही नहीं किया गया। उल्टे शिक्षकों को प्रतिमाह प्रशिक्षण के बहाने कक्षा शिक्षण से दूर करने की जिम्मेदारी दे दी जाती है। क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का स्तर इतना ज्यादा नीचे गिर चुका है कि सरकारी स्कूल के बच्चों को अपने विद्यालयों का नाम भी पता नहीं है। यहां तक की बच्चों को दिन और तारीख का भी ज्ञान नहीं है। लोगों की माने तो खंड शिक्षा अधिकारी शंकरगढ़ के उदासीनता के चलते क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का स्तर दिन पर दिन नीचे गिरता चला जा रहा है। यहां तक की कुछ स्कूल में तो शिक्षक भी समय से नहीं आते कुछ स्कूलों में तैनात शिक्षक विद्यालय से गायब रहते हैं। मजे की बात तो यह है कि स्कूल से गैर हाजिर शिक्षक भी रजिस्टर में हाजिर पाए जाते हैं। साथ ही आगे लोगों ने कहा कि बेवजह की चलाई जाने वाली योजनाओं को तत्काल बंद किया जाना चाहिए साथ ही शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाना चाहिए पूरा फोकस पढ़ाई पर ही होना चाहिए।