नए जिले रद्द करने के मामले को लेकर बोले अशोक गहलोत, कहा- इस सरकार ने सिर्फ योजनाएं बंद करने का किया काम
Rajasthan News: राजस्थान में नए जिलों को लेकर भजनलाल सरकार के फैसले पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। गुजरात, छत्तीसगढ़ और एमपी आबादी के मामले में हमसे छोटे हैं। लेकिन फिर भी गुजरात में 33 जिले हैं। एमपी में 53 जिले हैं।
मैं नहीं जानता कि यह फैसला क्या सोच-समझकर लिया गया है। हमने सुशासन के लिए यह फैसला लिया था। प्रदेश सरकार ने ये निर्णय लेने में 1 साल का समय लगा दिया। अगर प्रशासनिक मशीनरी मजबूत हो तो छोटे जिले भी अच्छी तरह काम कर सकते हैं। जनता से जुड़े मुद्दों पर अच्छी मॉनिटरिंग हो सकती है। इस सरकार ने सिर्फ योजनाएं बंद करने का काम किया है। एक साल में हमारी योजनाओं के नाम बदले हैं। इस दौरान अशोक गहलोत के साथ नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, विधायक अमीन कागजी, धर्मेंद्र राठौड़, रफीक खान और बाबूलाल नागर भी मौजूद रहे।
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को अपने जयपुर स्थित आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और भजनलाल सरकार पर जमकर निशाना साधा। गहलोत ने कहा कि सरकार को और जिले बनाने की जरूरत थी। लेकिन भजनलाल सरकार ने हमारे बनाए 9 जिले ही खत्म कर दिए। जबकि मध्यप्रदेश की सरकार ने 51 से बढ़ाकर जिलों की संख्या 53 कर दी है। सरकार को अपनी योजनाएं धरातल पर सही से लागू करनी चाहिए। नए जिले इसलिए बनाए गए थे ताकि लोगों को फरियाद लेकर दूर तक न भटकना पड़े।
पूर्व सीएम ने कहा कि अधिक जिले बनाने का कोई नुकसान नहीं था। जिले अधिक होने पर ज्यादा खर्च नहीं था। अधिकारी भी समायोजित हो जाते। अगर नए जिलों को निरस्त ही करना था तो सरकार ने इतना समय क्यों लिया? गहलोत ने सवाल उठाया कि जिस कमेटी ने जिलों को निरस्त करने की सिफारिश की है, उसके प्रमुख अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इसका मतलब साफ है कि बीजेपी के कहने पर ही उन्होंने सब कुछ किया।
रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के जरिए सरकार अपने फैसले को सही ठहराने की कोशिश कर रही है। लेकिन अधिकारियों को दबाव में आकर बीजेपी की भाषा नहीं बोलनी चाहिए। नए जिलों को निरस्त करने का फैसला लोगों के अहित के लिए लिया गया है। देरी से नए जिले बनाए जाने के कारणों की समीक्षा होनी चाहिए थी।
प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल
अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने नए जिले बनाने से पहले पूरी प्रक्रिया का पालन किया था। 2001 से 2011 तक देश में 46 जिले बने हैं। उसके बाद के 12 साल में 25 जिले बने हैं। इसका मतलब लोगों के विकास के लिए छोटे और नए जिले बनाना जरूरी है। सरकार का काम बढ़ा है, बजट भी बढ़ा है। लेकिन अब भजनलाल सरकार ने जिलों को खत्म करके पार्टी के दबाव में एक अच्छा चांस खो दिया है। एक साल में वे कुछ नहीं कर पा रहे। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट हो गई है। किसानों को बिजली के कनेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं।
आपको बता दें कि राजस्थान की भजनलाल सरकार ने एक साल के कार्यकाल के बाद पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए 3 नए संभागों और 9 नए जिलों को 28 दिसंबर को निरस्त कर दिया।
पूर्ववर्ती सरकार ने बनाए थे ये संभाग और जिले:
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने सीकर, पाली और बांसवाड़ा को नया संभाग बनाया था. साथ ही 19 नए जिलों का गठन किया। जिसमें अनूपगढ़ ,गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा,जयपुर शहर , खैरथल, ब्यावर ,जयपुर ग्रामीण, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर शहर , फलौदी, डीडवाना, जोधपुर ग्रामीण, सलूंबर, दूदू, केकड़ी, सांचौर और शाहपुरा शामिल थे।
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