सवाई माधोपुर 19 जनवरी। धर्म इहलोक व परलोक में शांति देने वाला है। धर्म को केवल धर्मस्थान तक सीमित करना अनुचित है। धार्मिक व अधार्मिक व्यक्ति के मध्य अंतर नजर आना भी अपेक्षित है। उक्त विचार आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या समणी निर्देशिका भावितप्रज्ञाजी ने आदर्शनगर स्थित अणुव्रत भवन में आयोजित मंगल भावना समारोह में व्यक्त किए।
उन्होंने प्रवास के अंतिम उपदेश के रूप में श्रावक श्राविकाओं की उदारता पूर्वक मुस्कराने, किसी की निंदा व आत्मप्रशंसा से बचने, अनावश्यक बोलने में कंजूसी करने, सोच को सकारात्मक बनाए रखने, बड़ों के प्रति विनम्र भाव रखने, हर कार्य में करुणा भाव रखने व स्वभाव को स्नेहासिक्त बनाए रखने की प्रेरणा दी।
इससे पूर्व समणीवृंद के 115 दिवसीय प्रवास की परिसंपन्नता पर आयोजित मंगल भावना समारोह समणीजी के मंगल मंत्र उच्चारण से प्रारंभ हुआ। समणी मुकुलप्रज्ञाजी ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। समणी संघप्रज्ञाजी ने प्रवासकाल की संपूर्ण जानकारी गीतिका के माध्यम से प्रस्तुत की।
समारोह में अध्यक्ष कमलेश जैन, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी रामेश्वर प्रसाद जैन, राधेश्याम जैन, विमल कुमार जैन, नम्रता जैन इंदौर, चंदा जैन, मंत्री सपना जैन, व्याख्याता अनीता जैन, पुलकित जैन आदि ने अपने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मंडल की रश्मि जैन, सीमा जैन, सुमिता जैन, सपना जैन व मीनाक्षी जैन ने नाटिका की सुंदर प्रस्तुति दी। महिला मंडल की ग्यारह बहिनों ने सुमधुर मंगल भावना गीत प्रस्तुत किया।
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के मंत्री नरेंद्र कुमार जैन ने आभार ज्ञापित किया व उपासक चन्द्रप्रकाश जैन ने कार्यक्रम का संचालन किया। आदर्शनगर में लगभग चार मास का प्रवास करने वाली समणीवृन्द सिंगापुर से दिल्ली होते हुए सवाई माधोपुर आई व अब गुरु आज्ञा से अहमदाबाद के लिए प्रस्थान करेगी।