केवलादेव नेशनल पार्क में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक


केवलादेव नेशनल पार्क में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक; अंदर ले जाने पर जमा करवाने होंगे 50 रुपए प्रति उत्पाद

भरतपुर, 08 अगस्त। पक्षियों की नगरी के नाम से जाने वाला जिले में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में देश विदेशों से हजारों की संख्या में पक्षी प्रतिवर्ष आते है। ऐसे में केवलादेव ने विश्वस्तरीय पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान कायम की है। स्थानीय भाषा में घना पक्षी विहार के नाम से पहचाने जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान न केवल भरतपुर के लिए बल्कि सम्पूर्ण राज्य के लिए पर्यटन एवं आय का एक बड़ा साधन है। वेटलैंड्स, ग्रासलेंड्स के साथ इतिहास की घटनाओं को अपने आंचल में समेटे हुए केवलादेव पक्षियों के साथ स्पोटेड डियर, सांभर, अजगर, विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के पेड़ पौधों का घर है। फ़्लोरा एंड फौना से समृद्ध घना यूं तो कई बार पानी से कमी से झूझा। परन्तु प्रशासनिक चेतना के साथ समय रहते घना को बचा लिया गया।इस सबके बीच सबसे बड़ी चुनौती थी, केवलादेव को प्लास्टिक से बचाना। पर्यटकों के साथ खाद्य सामग्री एवं पानी की बोतल के रूप में पार्क के अंदर जाने वाला प्लास्टिक कई बार पर्यटकों की न समझी की वजह से पार्क में दिखाई पड़ता जोकि वन्यजीवन के लिए खतरा साबित हो सकता था।हालाँकि केवलादेव प्रशासन द्वारा समय समय पर सफाई करवा कर एवं जगह जगह डस्टबिन रखवा कर इस खतरे को रोकने के प्रयास किये जाते रहे।
केवलादेव में प्लास्टिक उत्पादों पर रोक, अंदर ले जाने पर जमा करवाने होंगे 50 रुपए प्रति उत्पाद
केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के उप वन संरक्षक मानस सिंह द्वारा अनूठी पहल कर घना को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे है। मानस ने उक्त सम्बन्ध में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि पर्यटकों द्वारा पार्क में लाये जाने वाले उत्पादों की पार्क के प्रवेश द्वार पर चेकिंग की जाती है। एवं प्रत्येक प्लास्टिक निर्मित उत्पाद पर 50 प्रति उत्पाद फीस जमा कर एक टैग लगा दिया जाता है।जब पर्यटक पार्क भ्रमण कर वापस आते है तो टैग लगे हुए उत्पादों की वापस चेकिंग की जाती है एवं सही संख्या में पाए जाने पर 50 रुपए की फीस वापस कर दी जाती है एवं नहीं पाए जाने पर 50 रुपए जमा कर लिए जाते है। उन्होंने बताया की इस पहल के नतीजन पार्क में प्लास्टिक अब न के बराबर है. जिससे प्लास्टिक प्रदूषण से पार्क को बचाया जा रहा है। उप वन संरक्षक ने बताया कि केवलादेव प्रशासन प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर सख्त है एवं इस सन्दर्भ में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।
पर्यटकों ने कहा कि पार्क में प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षित
केवलादेव प्रशासन के प्रयासों एवं कार्यशैली को देख पार्क में दूर दराज के क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक प्राकृतिक पर्यावरण को देख अभिभूत हो गए, लंदन से आयी एक महिला पर्यटक एमा ने कहा कि वो यहाँ के प्राकृतिक माहौल को देख कर अचंभित है, और राजस्थान आने से पहले उन्होंने जिस प्रकार केवलादेव के बारे में सुना था उससे भी काफी बेहतर पाया। उन्होंने कहा कि पार्क में रहने वाले वन्यजीव एवं पक्षियों के साथ मौजूद वेटलैंड्स एवं उन्हें प्रकृति की ओर आकर्षित करते हैं।
1 जुलाई 2022 से राज्य में प्रबंधित है सिंगल यूज़ प्लास्टिक
उल्लेखनीय है कि राज्य में 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है एवं इस दिशा में लगातार सख्ती से कार्यवाही की जा रही है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक के अंतर्गत ऐसे उत्पाद शामिल होते है जिनका उपयोग सिर्फ एक बार करने के बाद त्याग दिया जाता है. ऐसे उत्पादों के अंतर्गत प्लेट, कप एवं ग्लास के साथ प्लास्टिक निर्मित ईयर बड्स, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारों में उपयोग में ली जाने वाली प्लास्टिक डंडियां, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक पीवीसी बैनर, ट्रे, स्ट्रॉ, चाकू, चम्मच, कांटे, आइसक्रीम स्टिक्स आदि शामिल है


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now