आचार्य विद्यासागर एवं आर्यिका ज्ञानमती माता जैन धर्म के सर्वोच्च संत हैं


आचार्य विद्यासागर एवं आर्यिका ज्ञानमती माता जैन धर्म के सर्वोच्च संत हैं

शरद पूर्णिमा पर कामां में मनाया द्वय संतो का अवतरण दिवस

कामां। शरद पूर्णिमा के अवसर पर कस्बां के शांतिनाथ दिगंबर जैन दीवान मंदिर में जैन धर्म के सर्वोच्च संत आचार्य विद्यासागर महाराज का 77 वां एवं सर्वोच्च साध्वी गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माता का 90 वें अवतरण दिवस पर धर्म जागृति संस्थान कामा एवं ज्ञान विजया महिला मंडल द्वारा संयुक्त रूप से भक्तामर महाअर्चना एवं गुणानुवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।
धर्म जागृति संस्थान के अध्यक्ष संजय सर्राफ ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य विद्यासागर महाराज एवं आर्यिका ज्ञानमती माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। वहीं 48 दीपों से भक्तामर पाठ की महा अर्चना की गई। द्वय सन्तो का गुणानुवाद करते हुए धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि दोनों महान विभूतियों ने जैनत्व को नए शिखर पर पहुचाने के साथ साथ अनेकों परमार्थ के कार्य कर मील के पत्थर स्थापित किए है। जहां आचार्य विद्यासागर महाराज ने सबसे अधिक युवा सन्त दीक्षित कर जैन समाज पर उपकार किया है। और आर्यिका ज्ञानमती माता ने मांगीतुंगी में 108 फुट ऊची आदिनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा विराजमान कर इतिहास गढ़ा है। इस अवसर पर रिंकू जैन ने कहा कि आचार्य ने गौ संवर्धन, प्रतिभास्थली,हथकरघा को बढ़ावा देकर स्वदेशी का अनुपम सन्देश दिया है। मनीषा जैन ने कहा कि द्वय सन्तो का ऋण जैन समाज द्वारा कभी नही चुकाया जा सकता। उन्होंने इंडिया नही भारत बोलो अभियान प्रारंभ किया जो वर्तमान में साकार होता नजर आ रहा है। अनेक तीर्थो का जीर्णोद्धार करा जैन धर्म की धरोहरों को सहजने का अनुपम कार्य हुआ है। कार्यक्रम में मीना जैन,शकुंतला जैन,इंद्रा बड़जात्या,प्रदीप जैन आदि वक्ताओं ने भी सन्तो की जीवनी पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन महाआरती के साथ हुआ।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now