मधुमक्खी पालन सेमीनार का हुआ आयोजन
भरतपुर, 13 सितम्बर। कार्यालय उप निदेशक उद्यान भरतपुर द्वारा, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन सेमीनार का आयोजन, किया गया। सेमीनार में भरतपुर जिले के 200 किसानों ने भाग लिया।
अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन रतन कुमार स्वामी ने सेमीनार में मधुमक्खी पालन तथा शहद के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारी अनियमित दिनचर्या के कारण दैनिक जीवन में शहद की महत्ता बढ़ती जा रही है। इसलिए सभी किसान भाईयों से निवेदन है कि खेती-बाड़ी के साथ साथ मधुमक्खी पालन की भी शुरुआत करें। स्वामी ने उद्यान विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह सेमिनार बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित की जा रही है जो किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी।
उप निदेशक उद्यान जनक राज मीणा ने सेमीनार में आए हुए सभी अतिथियों तथा किसानों का स्वागत करते हुए सेमीनार के महत्व तथा आवश्यकता के बारे में जानकारी दी। मीणा ने उद्यान विभाग द्वारा किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए दिए जा रहे अनुदान तथा सुविधाओं की भी विस्तार ऊजानकारी दी।
अतिरिक्त निदेशक कृषि भरतपुर संभाग देशराज सिंह ने कहा कि किसानों के लिए मधुमक्खी पालन से फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। प्राचीन काल से ही हमारे दैनिक जीवन में शहद का महत्व रहा है, और आज़ इसकी मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
संयुक्त निदेशक उद्यान भरतपुर संभाग योगेश कुमार शर्मा ने किसानों को बताया कि मौसम में आ रहे बदलाव के कारण किसानों के लिए मधुमक्खी पालन एक तरह से जरूरी होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन से ना केवल शहद, मोम, रॉयल जैली, और पराग (पोलन) मिलते हैं बल्कि मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले विष से केंसर, गठिया, एचआईवी, दर्द, जैसी बीमारियों के बचाव के लिए उपयोगी दवाई भी तैयार की जाती है। वर्तमान में मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय कुम्हेर डॉ उदयभान सिंह ने मधुमक्खियों को वर्ष भर फूल कैसे मिलें, और कौन कौन से फूल उपयोगी साबित हो सकते हैं, इस विषय पर कलेंडर के माध्यम से जानकारी दी।
विषय विशेषज्ञ, नेशनल बी बोर्ड, नई दिल्ली डॉ संजीव कुमार तोमर, ने मधुमक्खियों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी देते हुए, मधुमक्खी पालन से मिलने वाले शहद, मधुमक्खी पालन की विभिन्न तकनीकों, मधुमक्खी परिवार की संरचना, इनकी कार्य प्रणाली, तथा मधुमक्खी पालन से होने वाले लाभों सहित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
डॉ. तोमर, द्वारा मधुमक्खी पालन में काम आने वाले विभिन्न उपकरणों, शहद निकालने के लिए उपयोग में आने वाली मशीन इत्यादि की जानकारी दी।
डॉ शंकर लाल कस्वा, वैज्ञानिक, केवीके हिंडौन सिटी ने शहद प्रसंस्करण की विस्तार से जानकारी देते हुए इसकी पेकिंग, लेवलिंग, विपणन इत्यादि की जानकारी देते हुए सभी व्यावहारिक पहलुओं के बारे में बताया।
सहायक आचार्य, केवीके कुम्हेर डॉ कृष्णावतार मीणा ने मधुमक्खी में लगने वाले विभिन्न रोगों, शत्रु कीटों की जानकारी, रोकथाम के उपाय घरेलू प्रबंधन के बारे में चर्चा की। हरियाणा से आए मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ सुभाष जाखड़ ने भारत सरकार द्वारा मधुमक्खी पालकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी
कृषि अधिकारी उद्यान हरेंद्र सिंह द्वारा किसानों को विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गई।
सेमीनार में गणेश मीणा, अमर सिंह, तथा फील्ड स्टाफ भी उपस्थित रहा। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दे कर सेमीनार का समापन किया गया।