श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंजा बेनीपुर रोड नंबर 4 शिव शक्ति हनुमान मंदिर


दुर्गा अष्टमी व नवमी पर श्रद्धालुओं ने विधि विधान से कन्या पूजन कर लिया आशीर्वाद

जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन के साथ लंगूर की क्यों होती है पूजा

शंकरगढ़, प्रयागराज। नवरात्रि के पावन पर्व पर प्रातः काल श्रद्धालुओं ने शंकरगढ़ क्षेत्र के बेनीपुर रोड नंबर 4 स्थित शिव शक्ति हनुमान मंदिर में जाकर मां भगवती की आराधना की। तत्पश्चात मंदिर प्रांगण में कुमारी कन्याओं व साथ में लंगूर को आमंत्रित कर नवदुर्गा स्वरूपा कुमारी कन्याओं के पांव पखारे, पैर में महावर लगाया, चुनरी ओढ़ाई, माथे पर तिलक किया, हाथों में मौली बांधकर विधि विधान से पूजन किया तत्पश्चात आरती उतारी, श्रद्धा पूर्वक हलुवा, पूड़ी, फल, मिश्रित भोजन कराया, यथाशक्ति दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया गया। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। नवरात्रि में कन्याओं को श्रद्धा पूर्वक भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। प्राचीन काल से मान्यता चली आ रही है कि जो साधक नवरात्रि का व्रत कर अष्टमी के दिन दुर्गा स्वरूपा कन्याओं की विधि पूर्वक पूजा कर उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन करवाते हैं उन पर मां भगवती अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। हाला कि इस दिन साधकों को अपने घरों में कुमारी कन्याओं को भोजन करवाने के लिए काफी मशक्कत भी करनी पड़ी है। देखा गया कि गली मोहल्लों में साधक जाकर कन्याओं को खोज रहे थे वजह यह है कि प्रायः इस दिन हर घरों में कुमारी कन्याओं को भोजन कराने का प्रावधान है। लेकिन मां भगवती की असीम कृपा से दुर्गा स्वरूपा कुमारी कन्याओं को विधि विधान से पूजन करने व भोजन करवाने के लिए किसी साधक को 7 किसी को 9 किसी को 11 कन्याओं को बुलाकर आदर सत्कार करने का सौभाग्य प्राप्त हो सका। नवरात्रि पर कन्या पूजन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी होता है बल्कि वास्तु दोष को दूर करने के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। वास्तु दोष जो घर की नकारात्मक ऊर्जा या असंतुलित ऊर्जा का संकेत देते हैं जीवन में कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं। कन्या पूजन जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का एक प्रतीकात्मक रूप है इन दोषों को दूर करने और घर में शांति समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होता है। नौ कन्याओं की पूजा के साथ एक बालक को शामिल करने का उद्देश्य है की देवी की कृपा और शक्ति के साथ भैरव की सुरक्षा भी प्राप्त हो। यह मान्यता है की देवी दुर्गा की पूजा तभी पूर्ण होती है जब भैरव की पूजा भी की जाए। इसलिए नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन में एक बालक को सम्मिलित कर इस परंपरा का पालन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 9 कन्याएं देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं और बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। बटुक भैरव भगवान शिव के भैरव रूप का बाल रूप है जो देवी दुर्गा के रक्षक माने जाते हैं। कन्या पूजन करने से घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है जिससे धन और समृद्धि आती है जो घर आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं उनके लिए यह पूजन विशेष रूप से लाभकारी होता है। संतान सुख और मानसिक शांति कन्या पूजन करने से माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो परिवार में संतान सुख और मानसिक शांति लाने में सहायक होता है।


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