अरनिया घोड़ा देवनारायण मंदिर में रामस्नेही संत की कथा में गिरीराजजी के लगाया छप्पन भोग
मैं तो गोवर्धन कूं जाऊं मेरे वीर नांप मानै मेरो मनुवा, श्री गोवर्धन महाराज-महाराज तिहारे माथे मुकुट विराज रयौ
शाहपुरा। अरनिया घोड़ा श्रीदेवनारायण एंव चारभुजानाथ भागवत समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा और एंव तुलसी विवाह महोत्सव के आज पांचवे दिन कथा के दौरान सैकडों की तादाद में भक्तजन पहुंचे। आज गिरीराज महाराज का पूजन कर उस प्रसंग पर कथा के बाद छप्पन भोग लगाया गया तथा भक्तों को प्रसाद का वितरण किया गया।
व्यासपीठ से कथा वाचक रामस्नेही संत भगवताचार्य अर्जुनराम महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया और गोवर्धन पूजा का महत्व बताया। कथावाचक ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया। कथा में आज गिरिराज पर्वत की झांकी सजाई गई। श्रद्धालुओं ने गोवर्धन जी का पूजन कर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की।
कथा वाचक रामस्नेही संत भगवताचार्य अर्जुनराम महाराज ने कहा कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका घमंड दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बारिश कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। संगीतमय कथा के दौरान भजनों पर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
कथा वाचक रामस्नेही संत भगवताचार्य अर्जुनराम महाराज ने गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिंदू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए। गाय का दूध अमृत के समान बताया। गोवर्धन भगवान की पूजा विधि विधान से कराई। कथा व्यास ने… मैं तो गोवर्धन कूं जाऊं मेरे वीर नांप मानै मेरो मनुवा, श्री गोवर्धन महाराज-महाराज तिहारे माथे मुकुट विराज रयौ आदि मनमोहक भजन सुनाए। अन्त में आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया।
कथा आयोजक रामस्वरुप, गणेशकुमार, कृष्णगोपाल, बालकृष्ण मालू परिवार आमलीकंला वालो ने सभी भक्तो का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।
Moolchand Peshwani