ओमाश्रय सेवा धाम में लगाए परिन्दों को आश्रय हेतु घौंसलों के साथ दाना पानी परिण्डे।

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पक्षियों को आश्रय दाना पानी व्यवस्था गृहस्थी का पंच महायज्ञों में एक अतिआवश्यक बलिवैश्वदेव यज्ञ – ” यश’

जयपुर|पक्षियों का कलरव फड़फड़ाहट की हबा देखने सुनने महसूस करने में जितना सुकून देती हैं उतनी ही शारीरिक मानसिक आत्मिक व्याधियों से बचाती हैं।
ओउमाश्रय सेवा धाम सचिव डॉ प्रमोद पाल ने बताया कि उक्त कथन वैदिक चिंतक यशपाल यश ने स्व रामेश्वर दयाल झालानी बगरू वालों की अडतीस वीं पुण्यतिथि पर शांति यज्ञ एवं परिंदों को आश्रय दाना पानी व्यवस्था का शुभारंभ करते हुए कही।
यश ने कहा कि मूक परिंदों को पानी के परीण्डे, दाना चुग्गा पात्र तथा आश्रय हेतु घौंसले रखना गृहस्थी के लिए अति आवश्यक पंच महायज्ञों में एक बलिवैश्वदेव यज्ञ है।
यश ने वताया कि यंहा नित्य दाना पानी व्यवस्था होती है।
मुख्य यजमान विद्या सागर झालानी एवं श्रीमति सुनीता तथा ओमप्रकाश झालानी एवं श्रीमति विमला झालानी रहे। योगेन्द्र एवं श्रीमति क्षमा, वेदिका एवं वंशिका भरतपुर वाले राजकुमार सिंघल एवं श्रीमति सफना सिंघल
श्रीमति सरस्वती देवी देहली श्रीमति उर्मिला देवी अरुण गुप्ता संरक्षक सदस्य देवेश गोयल आजीवन सदस्य भगवान दास गर्ग बाडी वाले विजय जिंदल विकास अग़बाल रमण सिंह तथा बृजेन्द्र सिंह भी मौजूद रहे।
आगुंतकों ने ओमाश्रय गौशाला में भी सेवा आनन्द लिया।


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