शाहपुरा, 28 मई | शाहपुरा को पुनः जिला घोषित किए जाने की मांग को लेकर आज 28 मई को शहरवासियों ने काला दिवस (ब्लैक डे) मनाया। पांच महीने पूर्व 28 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार द्वारा शाहपुरा से जिले का दर्जा समाप्त कर दिया गया था, जिसके विरोध में जिला बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में यह विरोध दर्ज कराया गया।
सुबह से ही शहर के समस्त बाजार पूर्णतः बंद रहे। व्यापारियों ने स्वैच्छा से अपने प्रतिष्ठान बंद रखे, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और रोजमर्रा के कार्यों में लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। बंद को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए और जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया।
सुबह 9 बजे त्रिमूर्ति चौराहे से लेकर महलों के चौक तक संघर्ष समिति द्वारा एक विशाल वाहन रैली का आयोजन किया गया। इस दौरान लोगों ने हाथों में काली पट्टियां बांधकर और तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। रैली में नगर के युवाओं, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भाग लिया।
इससे पूर्व, समिति के पदाधिकारी त्रिमूर्ति बारहठ स्मारक पहुंचे, जहां उन्होंने देश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही उन्होंने भारतीय सेना द्वारा हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर सेना के अदम्य साहस की सराहना करते हुए उनका मनोबल बढ़ाया।
जिला बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट दुर्गालाल राजोरा ने जानकारी देते हुए बताया:
“28 दिसंबर 2024 को शाहपुरा का जिला दर्जा समाप्त कर दिया गया था, जो कि क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय है। यह निर्णय जनभावनाओं के विपरीत है। हम तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक शाहपुरा को पुनः जिला नहीं बना दिया जाता।”
उन्होंने आगे बताया कि दोपहर बाद राज्यपाल के नाम ज्ञापन उपखंड अधिकारी (एसडीएम) को सौंपा जाएगा, जिसमें जिले की पुनः बहाली की मांग प्रमुख रूप से रखी जाएगी।
इस विरोध प्रदर्शन में किसी प्रकार की अशांति नहीं हुई और यह आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। स्थानीय जनता और व्यापारिक संगठनों ने एकजुट होकर प्रशासन को यह संदेश दिया कि शाहपुरा की पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए वे हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार हैं।