नदबई-एनसीआर के नियम से दुःखी भट्टा मालिक व अन्य लोग लम्बे समय से एक मार्च का इन्तजार कर कई माह से कच्ची ईंट थपाई करा रहे थे। अब इन्हे देवताओं के राजा इन्द्र देव के प्रकोप का सामना करना पड रहा है। बे मौसम की बरसात से ईंट भट्टों पर 15 से 20 प्रतिशत तक कच्ची ईंट तबाह हो चुकी है और ईंट थपाई स्थल पर बरसात का पानी भर गया। जिससे अब कच्ची ईंट थपाई का कार्य कई दिन तक बन्द रहेगा तथा थपाई करने वाले मजदूर बेरोजगार रहेंगे। बरसात से कच्ची ईंट के नुकसान और काम प्रभावित होने के साथ-साथ थपाई,भराई व निकासी के मजदूरों का बिना कार्य की ऐवज में खर्चा देना आदि को लेकर ईंट भट्टा मालिक व अन्य लोग चिन्तित है। ईंट भट्टा मालिक संघ पूर्व अध्यक्ष सन्तोष चैधरी,चंचल जिन्दल, नरेश शर्मा बहरामदा ने बताया कि भरतपुर-डीग जिले के एनसीआर क्षेत्र में शामिल होने से उद्योग आए दिन बन्द हो रहे है। सबसे ज्यादा ईंट भट्टा कारोबारीओं पर पड रहा है। दिल्ली व आगरा के ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए 28 फरवरी तक ईंट भट्टा की आंच डालना और ईंट पकाई के कार्य पर पूर्ण रूप से रोक लगी हुई है। नदबई,वैर,भुसावर,नगर आदि उपखण्ड क्षेत्र में 200 से अधिक ईंट भट्टे संचालित है। सभी भट्टों में एक मार्च 2025 को आंच डाली जानी थी। जिसका भट्टा व्यवसाई इन्तजार कर रहे थे। दिसम्बर माह से 15 जनवरी तक प्रत्येक भट्टे पर 30 से 40 लाख कच्ची ईंट थपाई हो गई और थपाई का कार्य तेजी से जारी था। बुधवार-गुरूवार की रात्रि को मौसम खराब हो गया और बरसात हो गई। जिस बरसात के पानी से प्रत्येक भट्टे पर 15 से 20 प्रतिशत कच्ची ईंट तबाह हो गई। ईंट थपाई स्थल पर पानी भर गया और थपाई का काम प्रभावित हो गया। साथ ही भट्टे के अन्दर से साल 2024 की पक्की ईंट निकासी और कच्ची ईंट भराई का कार्य भी रूक गया। सभी मजदूर अब बिना काम के बैठे हुए है। जिन्हे बिना काम कराए खर्चा देना पडेगा। यदि खर्चा नही दिया तो ये गांव व घर चले जाऐंगे और फिर ये काम पर नही आऐंगे। ये हमारा चिन्ता का विषय है।