जयपुर नेशनल हाइवे पर सफर करने पर मुख व नाक पर रखना पडता रूमाल
नदबई|जयपुर नेशनल हाइवे सहित अन्य सडक मार्ग सहित नदबई,वैर,भुसावर उपखण्ड क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टें की धुआं से ग्रामीण ही नही नेशनल हाइवे व अन्य मार्ग पर सफर करने वाले यात्री व वाहन चालक बेहद परेशान है,जिनका लुधावई से महवा तक सफर करने समय भट्टे की चिमनी से निकलने वाली जहरीली व बदबूयुक्त धुआं से दम घुटता है,जो मुख,नैत्र व नाक पर रूमाल ढक कर यात्रा करने को मजबूर है। ऐसी धुआं से पर्यावरण को भारी नुकसान है और भट्टा संचालित क्षेत्र के गांवों में ग्रामीण अस्थमा,नैत्र,सिर दर्द,चिडचिडापन आदि रोग से पीडित नजर आने लगे हैं। आए दिन ऐसे रोगियों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है।
– ये धुआं के है बादल
गांव हन्तरा निवासी रामपाल एवं अरौदा निवासी चन्दन सिंह ने बताया कि ईंट भट्टा संचालित क्षेत्र में चारों ओर 20 से 30 किमी दूरी तक आकाश में हर समय काले बादल छाए रहते है,ये बादल पानी के नही,ये ईंट भट्टे की चिमनी से निकल रही धुआं से बन बादल है। जो बादल व धुआं पर्यावरण और मानव जीवन का हानिकारक है। एक कार से आगरा से जयपुर जा रहे आगरा निवासी धर्मगोपाल सरार्फ ने बताया कि कारोबार के लिए सप्ताह में 2 दिन जयपुर जाना पडता है। सफर करते समय लुधावई से महवा तक भट्टे की धुआं से दम घुटता है और मुख व नाक पर कपडा ढक कर सफर करने को मजबूर है। गांव बुढवारी निवासी प्रेमचन्द ने बताया कि ईंट भट्टे की जहरीली व बदबूयुक्त धुआं से ग्रामीण परेशान है,शिकायत करने पर कोई घ्यान नही देता है। गांव-गांव में अस्थमा,नैत्र,मस्तिक,फेफडे आदि रोग के मरीज आए दिन बढ रहे है। सबसे ज्यादा बुजर्ग व बच्चों के स्वास्थ्य पर पड रहा है। गांव डहरा निवासी राधा व कमला ने बताया कि भट्टे की धुआं हर समय आकाश में छाई रहती है,जिसका असर मानव जीवनद पर पड रहा है।
– दिन तुरी रात चमडा की जलाई
ईंट भट्टों पर तुरी से ईंट की पकाई की जाती है,कोयला से किसी भी भट्टे पर ईंट पकाई नही हो रही। कुछ भट्टा संचालक दिन में तुरी की जलाई करते है और रात्रि में ग्रामीणों के सो जाने के बाद चमडा व केमिकल्स की जलाई कर रह है,जिन पर प्रदूषण,खनन,स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय प्रशासन मेहरबान है। गांव हन्तरा निवासी सोहनलाल जाटव ने बताया कि हन्तरा,अरौदा, बेरी,रामनगर,हलैना,सरसैना,इरनियां,बुढवारी,पाली आदि गांवों में करीब 50 से अधिक भट्टे है,जहां कई पर रात्रि के समय चमडा जलाया जा रहा है,जिसकी धुआं व बदबू से लोग परेशान है।
– एनसीआर नियम की उड रही धज्जियां
भरतपुर और डीग जिला एनसीआर क्षेत्र में आते है,जहां पहले से एनसीआर नियम से व्यापारी,किसान व अन्य लोग परेशान है। निमय कठोर होने से साल 2000 से आज तक 175 भट्टे सहित अनेक उद्योग बन्द हो गए और भारी सख्यां वाहनों के रजिस्टेशन समाप्त हो गए। जिले के नदबई,वैर,भुसावर उपखण्ड क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांवों में 325 में 150 ईंट भट्टे संचालित है। कई भट्टे नियम के तहत संचालित है। कुछ भट्टों पर एनसीआर नियम की खुलेआम धज्जियां उड रही है,जो नियम की पालना नही कर रहे उन्हे प्रशासन,राजनेता और विभाग के आलाधिकारियों का संरक्षण हासिल है। जिससे उनके हौंसले बुलन्द है।
– कहां – कहां पर संचालित है भट्टे
भरतपुर जिले के गांव हन्तरा,अरौदा,बेरी,रामनगर,हलैना,बाछरेन,सरसैना,इरनियां,जहानपुर,पाली,बुढवारी,नदबई,बहरामदा,मांझी,ऊंच,कटारा, रासयीस,चोर पीपरी,कबई,अलीपुर,महाराजपुरा,झोरोल,बढा,खुरमपुर,खांगरी,ऐंचेरा,भदीरा आदि गांवों में भारी सख्यां में ईंट भट्टे संचालित है।
– क्या कहते है चिकित्सक
अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ.मनीष गुप्ता ने बताया कि धुआं और धूल भरी हवा मानव जीवन को प्रभावित करता है,जिससे अस्थमा रोग की संभावना बनी रहती है,ऐसे माहौल से लोग अस्थमा रोग से पीडित होने लगते है। मानव का स्वास्थ्य लाभ के लिए धुआं,धूल से बचना होगा। मस्तिक रोग विशेषज्ञ डॉ.किशारीलाल शर्मा ने बताया कि अशुद्व पर्यावरण से मानव कई रोगों की ग्रस्त में आ जाता है। ऐसे वातावरण से मानव चिडचिडा हो जाता है और मस्तिक से संबन्धित रोग से पीडित हो जाता है।