कर्म पर बल देने वाले दार्शनिक एवं पूर्ण स्वाधीनता के पुरोधा का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक महोत्सव मनाया


बामनवास |बामनवास ब्लॉक में स्थित सभी जैन मन्दिरों में युग के आदि प्रवर्तक एवं जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर देवाधिदेव ऋषभदेव भगवान का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक महोत्सव बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया l श्री वर्धमान दिगम्बर जैन विकास समिति द्वारा दिगम्बर जैन मन्दिर पिपलाई में सबसे पहले बृजेन्द्र कुमार जैन,सुनील कुमार जैन,आशीष जैन ने भगवान का जलाभिषेक किया एवं शान्तिधारा का लाभ लेने का सौभाग्य बृजेन्द्र कुमार जैन को प्राप्त हुआ इसके बाद देवाधिदेव ऋषभदेव भगवान की विशेष पूजाओं का आयोजन किया गया शाम को महाआरती रखी गई जिसमें सभी श्रावक – श्राविकाओं ने बढ़ – चढ़कर भाग लिया l
इस अवसर पर श्री वर्धमान दिगम्बर जैन विकास समिति के मंत्री एवं सदस्य सुनील कुमार जैन और आशीष जैन ने बताया कि जैन संस्कृति में भगवान ऋषभदेव को इस युग का आदि प्रवर्तक माना जाता है इसलिए उनको आदिनाथ भी कहा जाता है। ऋषभदेव चौबीस तीर्थंकरों में सबसे पहले तीर्थंकर थे। सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम से इस देश का नाम प्राचीन काल में भारत पड़ा। दूसरे पुत्र बाहुबली नाम से प्रसिद्ध थे। जिनकी सत्तावन फुट ऊँची एक पत्थर पर उकेरी गई प्रतिमा कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोल नामक गाँव में पहाड़ी पर बनी हुई है। स्थानीय लोगो में भगवान गोमट्टेश के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह संसार के सबसे सुंदर प्रतिमाओं में गिनी जाती है और देश विदेश से लाखो पर्यटक इसको देखने आते हैं।

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इस अवसर पर प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि भगवान ऋषभदेव ने लौकिक जगत में स्वयं,परिवार,समाज और धर्म के शत्रु से रक्षा करने के लिए अस्त्र शस्त्र चलाना भी सिखाया वही दूसरी तरफ ऋषभदेव भगवान ने सुरक्षा और आत्म रक्षा का भी पाठ पढ़ाया था l आत्म कल्याण के मार्ग पर चलने के लिए चींटी से भी तुच्छ और सूक्ष्म जीवों की रक्षा करना भी सिखाया। उन्होंने “जियो और जीने दो”का संदेश दिया जिस संदेश को अंतिम और चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने आगे बढ़ाया।

रमेश चन्द जैन और विनोद कुमार जैन ने बताया कि भगवान ऋषभ देव ने सत्य,अहिंसा,ब्रह्मचर्य,तप और अपरिग्रह-रूप महान आदर्शों के द्वारा ही उन्होंने मानव कल्याण की प्रेरणा दी। उनके जीवन के कण-कण में मानवता के प्रति असीम प्रेम करुणा और अभ्युदय की अनंत अभिलाषा प्रगट होती है। उन्होंने मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि कर्म से महान बनने की प्रेरणा दी। मानव मानव के बीच समानता की भावना एवं कर्म श्रेष्ठता का सिद्धांत स्थापित किया और प्रत्येक प्राणी में एक ज्योतिर्मयी अनन्त शक्ति रूप आत्म तत्व की सत्ता को बतला कर सारे भेदभावों को समाप्त कर दिया।

इस अवसर पर सुमनलता जैन,आशा जैन,रजनी जैन,सपना जैन,एकता जैन,रश्मि जैन,मेघना जैन,दीक्षिता जैन,वर्णिका जैन,जिनेन्द्र जैन,अमित जैन,अभिनन्दन जैन,भव्य जैन और अयांश जैन सहित कई श्रावक – श्राविकाएं उपस्थित रहे l

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