वजीरपुर में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई गई ।इस शुभ अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथी पूर्व प्राचार्य प्रो० श्यामलाल मीना व महाविद्यालय के नोडल अधिकारी श्री रामकेश मीना एवं समस्त स्टाफ के सदस्यों ने दोनों महापुरुषों के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की साथ ही महाविद्यालय के छात्रों द्वारा भी महापुरुषों के चित्रपट परश्रद्धा सुमन अर्पित किए गये ।
इस अवसर पर “वर्तमान में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता ” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो० श्यामलाल मीना ने गांधी जी के चिंतन और देश के प्रति समर्पित जीवनपर विस्तृत रूप से व्याख्यान देते हुए कहा कि वर्तमान में गांधी जी के विचारों की यही प्रासंगिकता है कि प्रत्येक मनुष्य को जनकल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए तथा सत्य अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए ।इस अवसर पर नारे डल अधिकारी श्री रामकेश मीना ने गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान एवं दार्शनिक चिंतन पर अपने विचार रखें । सहायक आचार्य श्री रामप्रसाद बैरवा ने कहा कि गांधी एक व्यक्ति ही नहीं गांधी एक चिंतन का नाम है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि सहज भाव से जीवन जीते हुए भी बहुत कुछ अच्छे कार्य किये जा सकते हैं । संकाय सदस्य डा० अकरम ऐजाज ने कहा कि हमें दोनों महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए सामान्य जन को यह बताना चाहिए कि सत्य अहिंसा और परोपकार से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है और इनका पालन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति को स्वधर्म का पालन करना चाहिए । संकाय सदस्य डा० गौरी शर्मा ने कहा कि इतिहास के पन्ने गांधी जी की कार्य शैली से स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जा चुके हैं इन दोनों महापुरुषों के योगदान को भारत देश का कोई भी नागरिक किसी भी स्थिति में नहीं भूल सकता ।इस अवसर पर मैं दोनों महापुरुषों को श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं । इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र विवेक शर्मा और हितेश गौतम ने विचार रखे
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक श्री अनिल कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और गांधी जी के सुप्रसिद्ध भजन “वैष्णव जन तो जाने कहिये जो प्रीत पराई जाने रे ” के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ ।