शाहपुरा|शहर में रविवार को सिंधी समाज द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास व धार्मिक उत्साह के साथ चेटीचंड महोत्सव मनाया गया। पूज्य सिंधी पंचायत के नेतृत्व में आयोजित हुए इस पर्व के अवसर पर भव्य वाहन रैली निकाली गई, जिसने पूरे शहर को झूलेलाल भगवान के जयकारों से गुंजायमान कर दिया।
यह रैली झूलेलाल मंदिर, दिलखुशाल बाग से प्रारंभ होकर बालाजी की छतरी, सदर बाजार, त्रिमूर्ति चैराहा, सिंधी कॉलोनी, रामनिवास धाम व कलिंजरी गेट होते हुए पुनः मंदिर पर आकर समाप्त हुई। रैली में सिंधी समाज के सैकड़ों महिला-पुरुषों व बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए नजर आए, वहीं वाहनों को भी धार्मिक झंडों व सजावट से अलंकृत किया गया था।
रैली के दौरान त्रिमूर्ति चैराहे पर समाज के युवाओं व महिलाओं ने पारंपरिक सिंधी नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। झूलेलाल के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज से पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूब गया।
पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष मोहन लखपतानी ने जानकारी देते हुए बताया कि चेटीचंड महोत्सव के अंतर्गत कई धार्मिक आयोजन भी संपन्न हुए। शाम को झूलेलाल मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने भाग लेकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। इसके उपरांत मंदिर से अखंड ज्योत की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो पिवणिया तालाब तक गई, जहां विधिवत पूजा-अर्चना के बाद ज्योति का विसर्जन किया गया।
इस दौरान मंदिर प्रांगण में पंजड़ा गाए गए तथा महिलाओं ने भजनों पर नृत्य किया। वातावरण भक्तिरस में डूबा रहा। वहीं, संत कंवरराम धर्मशाला में दिनभर भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें नगरवासियों व श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
महोत्सव के अगले दिन यानी सोमवार सुबह भगवान झूलेलाल का विधिवत अभिषेक किया गया। मंदिर में झंडारोहण किया गया, जिसमें समाज के प्रमुखजन व श्रद्धालु उपस्थित रहे। दिनभर धार्मिक अनुष्ठान होते रहे, जिनमें समाज के सभी वर्गों के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर समाज की एकजुटता और संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिली। सिंधी समाज द्वारा शहर में धर्म, संस्कृति और समरसता का जो संदेश दिया गया, वह अनुकरणीय है। उत्सव के चलते सिंधी समाज के सभी प्रतिष्ठान बंद रहे, जिससे यह संदेश गया कि समाज अपने आराध्य भगवान झूलेलाल के प्रति श्रद्धा भाव से पूरी तरह समर्पित है।
शाहपुरा में आयोजित इस चेटीचंड महोत्सव ने न केवल धार्मिक रंग भरे, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता की मिसाल भी पेश की। यह आयोजन सिंधी समाज की आस्था, परंपरा और एकजुटता का प्रतीक बनकर उभरा।