राजस्व घाटा, सड़क हादसे और ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
भरतपुर।राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले के बयाना में कानून को ताक पर रखकर अवैध खनन बेधड़क जारी है। वन विभाग और पुलिस कोतवाली की नाक के नीचे से ओवरलोड ट्रक रातभर निकलते हैं, मानो शासन-प्रशासन की आंखों पर पट्टी बंधी हो।
इन ट्रकों में 60 से 70 टन तक पत्थर भरा होता है, जो कानूनी सीमा से कई गुना अधिक है। न वाहन पर नंबर, न दस्तावेज—
किसी हादसे के बाद ये वाहन मौके से फरार हो जाते हैं। इससे कई निर्दोष राहगीर अपनी जान तक गंवा चुके हैं, लेकिन न तो कोई कार्यवाही होती है और न ही कोई रोक।
सूत्रों के अनुसार, रोजाना 100 से 150 ट्रकों में अवैध पत्थर भरकर निकाले जा रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि राजस्थान सरकार को भी करोड़ों रुपये का राजस्व घाटा हो रहा है।
इस पूरे खेल में वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत की बात सामने आ रही है। शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होना, इस साजिश की पुष्टि करता है।
इस लूट के खिलाफ अब ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है। पूर्व विधायक ग्यासीराम कोली के नेतृत्व में रुदावल हनुमानजी मंदिर परिसर में एक महापंचायत का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया। पंचायत में तय हुआ कि यदि दो दिन के अंदर अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर रोक नहीं लगी, तो धरना-प्रदर्शन और बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
इस अवसर पर श्रीराम बेसला, दीवान शेरगढ़, भूरा सामरी, निरंजन पहलवान, गंजन सिघाड़ा, प्रताप पहलवान,योगेंद्र सालाबाद, यादराम कुशवाह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
अब सवाल ये उठता है कि जब मुख्यमंत्री का गृह जिला ही अवैध खनन का अड्डा बन जाए, तो राज्य के अन्य जिलों का क्या हाल होगा? क्या सरकार सिर्फ तमाशबीन बनी रहेगी या दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी?