बाल सुरक्षा सखियों ने 75 बाल विवाह समझाइश से रुकवाये


गाँवो मे दीवारों पर बनवा रही है बाल विवाह के खिलाफ पेंटिंग

भरतपुर|कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन (यू. एस ) के सहयोग से न्याय तक पहुंच फेज 2 कार्यक्रम के तहत मंजरी फाउंडेशन के द्वारा धौलपुर जिले के 50 गाँवो को बाल विवाह मुक्त बनाने के अभियान को बहुत सफलता मिल रही है, स्वयं सहायता समूहों की महिलाये सूचना मिलने पर बाल विवाह करने की संभावना वाले परिवारों को घर जाकर समझा रही है और इस प्रयास से पूरे एक साल मे 75 शादियां को रोकने मे सफलता मिली है | गाँवो की दीवारों पर जागरूकता के लिए पेंटिंग बनवायी जा रही है |
इस कड़ी मे आगे यें बाल सुरक्षा सखी गाँवो मे मोहल्ला मोहल्ला जाकर युवाओं और बच्चों व महिलाओं को लूडो के खेल के माध्यम से बाल विवाह के खिलाफ जागरूक कर रही है | कार्यक्रम से जुड़े आशीष पाराशर ने बताया किबाल विवाह एक बड़ा मानवाधिकार उल्लंघन है जो लाखों बच्चों से उनका बचपन, शिक्षा और भविष्य के अवसर छीन लेता है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह (निषेध और रोकथाम) अधिनियम 2006 के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों का विवाह सख्त वर्जित है। जो कोई भी बाल विवाह करता है और इसके लिए उकसाता है, उसे दो साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। कानूनी प्रावधानों के बावजूद बाल विवाह देश में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कैथरी सरपंच अजयकांत शर्मा ने बताया कि मंजरी फाउंडेशन के द्वारा गांव गांव मे बाल सुरक्षा सखी को गाँवो मे होने वाले विवाहो, सगाई और संबंधो पर नजर रखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और यें सखी समय रहते सूचना देती है फिर उस परिवार को समझाया जाता है और उस पर नजर रखी जाती है, इस तरह बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता तो बढ़ ही रही है साथ मे बाल विवाह को रोकने मे भी सफलता मिल रही है |


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