लोकतान्त्रिक परम्पराओं के निर्वहन में मतदाताओं की प्रतिबद्धता जरूरी – प्राचार्य

Support us By Sharing

लोकतान्त्रिक परम्पराओं के निर्वहन में मतदाताओं की प्रतिबद्धता जरूरी – प्राचार्य

कुशलगढ।बांसवाड़ा।अरूण जोशी ब्यूरो चीफ। स्व.मामा बालेश्वर दयाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशलगढ़ में राष्ट्रीय मतदाता दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। प्राचार्य महेन्द्र कुमार देपन ने बताया कि 25 जनवरी 1950 को भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना होने के कारण इस दिवस को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रुप में लोकतांत्रिक परम्पराओं के निर्वहन व सशक्तिकरण हेतु मनाया जाता है। लोकतान्त्रिक परम्पराओं के निर्वहन में मतदाताओं की प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है। इस वर्ष की थीम हैं – वोट जैसा कुछ नहीं , वोट जरूर डालेंगे हम। लोकतंत्र की नींव मताधिकार पर आधारित है।लोकतांत्रिक समाज व शासन की स्थापना के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक वयस्क नागरिक को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए निर्भीक होकर धर्म,वर्ग,जाति, समुदाय,भाषा अथवा प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचनों में अपने मताधिकार का प्रयोग करें। मतदान किसी भी मतदाता का अधिकार है जिसके महत्व को समझना बेहद जरूरी है। प्राचार्य द्वारा संकाय सदस्यों सहित लगभग 500 से अधिक विद्यार्थियों को मतदाता जागरुकता की शपथ दिलवाई गयी तथा नये जुड़े मतदाताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करते हुए संवाद किया गया। ईएलसी प्रभारी कन्हैयालाल खांट ने विद्यार्थियों को बताया कि 1 जनवरी 2024 को 18 वर्ष आयु पूर्ण पात्र मतदाता अपना वोटर कार्ड अवश्य बनावें एवं लोकतंत्र में अपनी समावेशी व गुणात्मक भागीदारी सुनिश्चित करें। लोकतंत्र के इस पर्व पर विद्यार्थियों ने भारत निर्वाचन आयोग के स्थापना से अब तक के बदलते स्वरुप , निर्वाचन प्रक्रिया , ऑनलाइन वोटर हेल्पलाइन एप ,सक्षम एप , होम वोटिंग की प्रक्रिया को जाना।कार्यक्रम में सहायक आचार्य डाॅ योगेश वर्मा, माखनसिंह मीना, हिमांशु शाण्डिल्य, प्रविन्द्र कुमार,डाॅ कविता,डाॅ शाहीना परवीन सहित राष्ट्रीय सेवा योजना व रोवर रेंजर के विद्यार्थी उपस्थित रहे। ये जानकारी प्राचार्य
महेन्द्र कुमार देपन ने दी।


Support us By Sharing