विचारो का प्रदूषण सबसे खतरनाक – मुनि सिद्धप्रज्ञ
शाहपुरा|विचार शुद्धि के बिना आचार एवं व्यवहार शुद्धि संभव नहीं। वृति बदलेगी तो प्रवृत्ति बदलेगी। व्यक्ति सुधरेगा तो समाज सुधरेगा। पर्यावरण की शुद्धि के लिए संयम प्रधान जीवन शैली जरूरी है। संचम जीवन है तो असंयम मृत्यु है। अणुव्रत जीवन को संयमित एवं पर्यावरण को नियमित बनाता है। आचार्य तुलसी ने पर्यावरण की शुद्धि के लिए अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन कर अखण्ड भारत को अमन चेन से जीने का शंखनाद किया। पर्यावरण के लिए विचारो को प्रदूषित बचाने की शख्त जरूरत है। उक्त विचार युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुव्रती शासन श्री मुनि सुरेश कुमार जी के पावन सानिध्य मे मुनि सिद्धप्रज्ञ ने अरिहंत भवन उदयपुर मे विश्व पर्यावरण दिवस पर बोलते हुवे व्यक्त किये।
कार्यक्रम की आयोजना तेरापंथ महिला मंडल उदयपुर, अणुव्रत समिति उदयपुर एवं सदभाव सेवा संस्थान उदयपुर के संयुक्त तत्ववधान मे हुवा।
तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष सीमा बाबेल, उपाध्यक्ष मंजू इटोदिया , सुमन डागलिया , कार्य समिति सदस्य ललिता सिंघवी, डिंपी जी जैन, रेखा जैन, आशा सुराणा
सद्भाव सेवा संस्थान के संरक्षक ओम प्रकाश अग्रवाल, अणुव्रत समिति उपाध्यक्षा प्रणिता तलेसरा, मधु सुराणा नवल सिंह जी खमेसरा आदि गणमान्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
सद्भभावना सेवा संस्थान के ओम प्रकाश अग्रवाल ने विचार व्यक्त करते हुवे कार्यक्रम का सफल संचालन किया।
पोस्टर मेकिंग में प्रथम शिवी पोरवाल द्वितीय जय जैन, कृती जैन निबंध प्रतियोगिता में प्रथम मीना नंद्रेचा द्वितीय शिवी पोरवाल तृतीय रही डिंपी जैन कविता प्रतियोगिता में प्रथम , द्वितीय कृति नांद्रेचा को पुरुस्कार प्रदान किये गये।