कागजी खानापूर्ति तक सिमटा समाधान दिवस फरियादी निराश


बारा तहसील दिवस में कई विभाग के अधिकारी व थाना प्रभारी रहे गैरहाजिर

प्रयागराज। संपूर्ण समाधान दिवस में बड़ी उम्मीद के साथ फरियादी पहुंचते हैं। उन्हें भरोसा होता है कि उक्त दिवस पर उनके मामले का निस्तारण बड़े अधिकारी कर देंगे लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस दिवस को मामलों से संबंधित आवेदन भले ही सभी से लिए जाते हैं लेकिन उन आवेदनों को संबंधित विभाग को सुपुर्द कर अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछे हट जाते हैं। इसके बाद फिर अगला समाधान दिवस आता है, फरियादी दोबारा इस उम्मीद के साथ पहुंचते हैं और उन्हें बार-बार इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है। अंत में वे थक हार कर नेताओं के पास दौड़ने लगते हैं वहां से भी जब न्याय नहीं मिलता तो वह निराश होकर अपनी हार मानकर घर बैठ जाते हैं और फिर सरकार को एवं सिस्टम को कोसते हैं। समाधान दिवस जो पहले तहसील दिवस था जनता की समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए आयोजित किया जाता है। लेकिन कुछ मामलों में समाधान दिवस में अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता देखी जा रही है, जिसके कारण यह तमाशा दिवस जैसा लगने लगा है। समाधान दिवस के दौरान दर्जनों फरियादियों ने बताया कि वह तहसील का चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं लेकिन उनकी समस्याओं के प्रति विभागीय अधिकारी गंभीर नहीं होते। गोल मटोल जवाब के साथ मामले का निस्तारण भी फर्जी तरीके से कर देते हैं। बता दें कि बीते शनिवार को बकरीद का अवकाश होने की वजह से सोमवार को उप जिलाधिकारी की अगुवाई में समाधान दिवस का आयोजन हुआ। इस मौके में कई विभागों के अधिकारी और थाना प्रभारी मौजूद नहीं दिखे जो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या एसडीएम बारा ऐसी लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे या फिर मामले को नजर अंदाज कर देंगे। तहसील समाधान दिवस में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा?


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