दृष्टि दिव्यांग जय जिनेन्द्र मित्र मण्डल का सम्मेलन आयोजित

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व्यक्ति का दृष्टिकोण सही होना चाहिए – मुनि नीरज सागर

सवाई माधोपुर 30 सितम्बर। भारतवर्षीय दृष्टि दिव्यांग जय जिनेंद्र मित्र मंडल के प्रथम दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ अहिंसा सर्किल आलनपुर स्थित दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी में चतुर्मासरत मुनि संघ के सान्निध्य में रविवार शाम हुआ।
प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि जय जिनेंद्र मित्र मंडल के संयोजक सुनील जैन जबलपुर ने उदयपुर, जोधपुर, कोटा, रतलाम, सागर, अहमदाबाद, हैदराबाद व मुंबई से आये दिव्यांगजनों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मुनि संघ व मौजूद समाजजनों के समक्ष परिचय कराया।
समय आराधना चातुर्मास समिति के संरक्षक मोहनलाल कासलीवाल, अध्यक्ष रमेश चंद भसावड़ी, महामंत्री योगेंद्र पापड़ीवाल व कोषाध्यक्ष अशोक पांड्या के संयोजन में समिति पदाधिकारियों ने दिव्यांगजनो का आत्मीय सम्मान किया।
मुनि निर्मद सागर महाराज ने अपने प्रेरक उद्बोधन के जरिए कहा कि व्यक्ति के जीवन में सुख दुख दोनों आते हैं। इन परिस्थितियों में समता का परिचय देना चाहिए। दिव्यांगजनों की कमजोरी ही उनकी ताकत है। जिनके हृदय में अपने आराध्य की भक्ति निहित होती है उनकी कभी हार नहीं होती।
इसी प्रकार मुनि नीरज सागर महाराज ने एक इंद्रिय के अभाव में जीवन कैसे जिए पर प्रेरक प्रसंग के जरिए प्रकाश डाला और कहा कि व्यक्ति चाहे दृष्टिहीन हो लेकिन उसका दृष्टिकोण सही होना चाहिए। उन्होंने विवेक के नेत्र जागृत कर जीवन को उन्नत बनाने की प्रेरणा दी।
इसी क्रम में भजन संध्या के दौरान दृष्टि दिव्यांग नितेश जैन सरगम सागर, कवि जैन जोधपुर व अर्पित जैन कोटा ने मंत्र णमोकार हमें प्राणों से प्यारा है, इंडिया-विंडिया नहीं भारत बोलो, पापों के दल दल में फंसकर धर्म सिसकता है सहित एक से बढ़कर एक जिनेंद्र प्रभु को समर्पित भजन प्रस्तुत किये।


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