भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी ग्राम पंचायत भेलांव में चकबंदी प्रक्रिया


बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े ग्रामीणों का सपना आज भी अधूरा

 प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ के अन्तर्गत ग्राम पंचायत भेलांव की चकबंदी कई वर्षों से पूरी नहीं हो सकी, जिससे किसानों ने चल रही चकबंदी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करते हुए उप जिलाधिकारी बारा को अवगत कराया।मामला बारा विधानसभा के ग्राम पंचायत भेलांव से जुड़ा है। जहां उम्मीद की डोर थामे लोग बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े हो गए हैं,फिर भी विरासत में नाम दर्ज होने का सपना आज भी पूरा नहीं हो सका। बताते चलें कि 1984 में जब चकबंदी शुरू हुई तो लोगों को खुशी थी कि दूर दराज तक बिखरे उनके खेत एक खाते में दर्ज हो जाएंगे, साथ ही अपने खेतों तक पहुंचने के लिए चकमार्ग भी मिल जाएगा। ग्रामीणों का आरोप है कि भू माफियाओं ने सारी चकबंदी प्रक्रिया को अधिकारियों की मिली भगत से मुट्ठी में कर लिया। पूर्व प्रधान मनोज सिंह का कहना है, कि पूरी चकबंदी प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है। मेरे गांव तक पहुंचने के लिए चकबंदी प्रक्रिया शुरू ही नहीं किया गया।विभाग द्वारा मनमानी की जा रही है।गांव वालों का कहना है कि जिसका एक-एक बिस्वा करके कहीं इधर कहीं उधर हम लोग चाहते हैं कि हम लोगों के गांव में चकबंदी होकर आ जाए तो कम से कम हमारा एक चक खाता हो जाएगा,तो हमें जोतने बोने में दिक्कत नहीं होगी। इसी बात की बैठक लेकर प्राथमिक विद्यालय में समस्त ग्रामवासी इकट्ठा होकर चकबंदी के लिए प्रार्थना पत्र तैयार करके एसडीएम बारा को अवगत कराया गया है।यह जानकारी एसडीएम को मिलते ही उन्होंने कहा कि मंगलवार को तहसील में आकर हमसे मिलें, जितनी जल्दी हो सकेगा हम चकबंदी के लिए अधिकारियों से मिलकर प्रयास करेंगे। बैठक में पूर्व प्रधान मनोज सिंह, पूर्व प्रधान अनिरुद्ध सिंह, राजेंद्र सिंह, संदीप सिंह, गगन सिंह, लाल बहादुर सिंह, चंद्रकाली ग्राम प्रधान व समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।

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