अध्यापक, शिक्षक और गुरु का किया चिंतन मनन


अध्यापक, शिक्षक और गुरु का किया चिंतन मनन

आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है और सभी लोग आपस में शिक्षक दिवस की बधाईयाँ भी दे रहे हैं। अक्सर लोग अध्यापक, शिक्षक और गुरु तीनों के मध्य बारीक अंतर को समझ नहीं पाते हैं या समझते हैं तो उसे व्यक्त नहीं कर पाते हैं। इस विषय पर आज मैंने भी चिंतन मनन किया और पाया कि अध्यापक, शिक्षक और गुरु में बहु बारीक अंतर है। तो आईए इन तीनों शब्दों के भावार्थ को समझते हैं।

अध्यापक – जो अध्ययन कराता है वह अध्यापक कहलाता है। जो विद्यालय महाविद्यालय में विद्यार्थी को पढ़ाता है वह अध्यापक होता है। अध्यापक जो पढ़ाता है। वस्तुतः वह पूर्व उपलब्ध/ सत्यापित/कथित/घटित जानकारी होती है। अध्यापक के द्वारा करायी गयी पढ़ाई के बाद परीक्षा ली जाती है। अध्यापक किताबी ज्ञान देता है जिससे विद्यार्थियों को शैक्षणिक प्रमाण-पत्र/ डिग्री आदि प्राप्त होते हैं। वर्तमान में अध्यापक होने के लिए कुछ विशिष्ट और औपचारिक विशेषज्ञता/अर्हता होना आवश्यक है। अध्यापक को अध्यापन के लिए पारिश्रमिक लेता है और उसका विद्यार्थी से औपचारिक सम्बन्ध होता है। अध्यापक का अपने विद्यार्थियों से भावनात्मक सम्बन्ध शिक्षक की तुलना में अत्यंत क्षीण होता है। अध्यापक का अनुयायी विद्यार्थी कहलाता है। कुछ अध्यापक किसी के लिए शिक्षक की भूमिका निभाते हुए भी मिलते हैं जो उन्हें अन्य अध्यापकों से अलग व बेहतर बनाते हैं। अध्यापक, विद्यार्थी की इच्छा से नहीं होता/ लगता है अर्थात् औपचारिक व्यवस्था में जो अध्यापक मिल जाता है विद्यार्थी को उसी से पढ़ना पड़ता है। अध्यापक के प्रति विद्यार्थी के मन में आदर होता है जो ज़रूरी नहीं कि हृदय से हो बल्कि यह सामान्य शिष्टाचार के कारण होता है।अध्यापक अपने विद्यार्थी को पुस्तकीय परीक्षा में सफलता के लिए तैयार करता है।

यह भी पढ़ें :  गौरव बुडानिया ने सम्भाला सीईओ जिला परिषद का पदभार

शिक्षक- जो हमें शिक्षा देता है वह शिक्षक कहलाता है। शिक्षक कोई भी हो सकता है। हमारी माता हमारी पहली शिक्षक होती है।
शिक्षक में किसी विशेष औपचारिक विशेषज्ञता/अर्हता होना आवश्यक नहीं होती। शिक्षक अपने अनुभव के अनुसार शिक्षा देता है। शिक्षक असल ज़िंदगी के प्रश्नों के उत्तर खोजने में हमारी मदद करते हैं और उनका उत्तर देते भी हैं। शिक्षक हमें व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करता है। कोई व्यक्ति किसी के लिए परिस्थितिजन्य भी शिक्षक हो सकता है। शिक्षक का अनुयायी शिक्षार्थी कहलाता है। किसी व्यक्ति विशेष को किसी कार्य/सबक़ के लिए हम शिक्षक मान लेते हैं। शिक्षक के प्रति शिक्षार्थी के मन में सम्मान होता है। एक शिक्षक हमें सांसारिक/बाहरी यात्रा के लिए साधनों और लक्ष्यों को पाने की महत्ता एवं विधि बताकर तैयार करता है। शिक्षक हमें सांसारिक सफलता के सूत्र सिखाता है।
गुरु- गुरु का दर्जा अध्यापक और शिक्षक दोनों से से ऊँचा होता है। जो “गु” यानि अंधकार से “रु” यानि प्रकाश की ओर ले जाता उसे गुरु कहते हैं। किसी गुरु का शिष्य बनने के लिए आपका अपनी पात्रता सिद्ध करनी पड़ती है। सामान्यतया गुरु अपने शिष्य को आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं। जो ज्ञान अध्यापक या शिक्षक से नहीं मिल पाता, वह ज्ञान गुरु से मिलता है। गुरु अपने अनुयायी में अपनी धारणा के अनुसार कोई पात्रता देखकर ही उसे शिष्य बनाता है। एक गुरु को ढूँढना व अर्जित करना पड़ता है। गुरु अपने शिष्यों से कोई पारिश्रमिक नहीं लेता अपितु दक्षिणा ग्रहण करता है। गुरु के कथन/ उपदेश को सही मानकर उस पर शिष्य सहज विश्वास कर लेता है। गुरु अपनी बात के समर्थन में प्रायः तथाकथित धार्मिक किताबों का सहारा लेता है। गुरु के प्रति शिष्य के मन में श्रद्धा, विश्वास और विनम्रता की भावना होती है। जो सच्चा गुरु (सद्गुरू) होता है वह शिष्य की आंतरिक शक्ति को जागृत करके आत्मिक यात्रा की ओर प्रवृत्त करता है। एक गुरु शिष्यों को संसार/ वस्तुओं की नश्वरता का बोध करवाता है और आंतरिक यात्रा के लिए तैयार करता है। गुरु अपने शिष्य की छिपी हुई आध्यात्मिक ऊर्जा को उद्घाटित करता है और उसे रूहानी सुकून पाने में मददगार होता है।

यह भी पढ़ें :  फर्जी व्हाट्सअप बनाकर अपराध में फसाने के मामले का आरोपी गिरफतार

सच्चा शिक्षक सूरज जैसे
जो मिटाता अज्ञान है।
ज्ञान देने वाला शिक्षक
होता बड़ा महान है।

शिक्षक होता शिल्पकार
जो शिष्य को गढ़ता है।
सच्चा शिक्षक शिष्य के
मन के भाव पढ़ता है।

सच्चे शिक्षक की नज़र में
होते शिष्य समान है।
बिना भेदभाव के जो
करता शिक्षा का दान है॥

अँगूठा नहीं कटवाता
जब तक देता नहीं ज्ञान है।
शिष्यों की नज़र में रहता
सद्गुरू का बड़ा मान है॥

विश्व शिक्षक दिवस

✍?विश्व शिक्षक दिवस (अंग्रेज़ी: World Teacher’s day) 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मनाया जाता है। इस दिन अध्यापकों को सामान्य रूप से और कतिपय कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है।
✍?इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1966 में यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की हुई उस संयुक्त बैठक को याद करने के लिये मनाया जाता है जिसमें अध्यापकों की स्थिति पर चर्चा हुई थी और इसके लिये सुझाव प्रस्तुत किये गये थे।
अतः इसे 1994 के बाद से प्रतिवर्ष लगभग सौ से अधिक देशों में मनाया जा रहा है और इस प्रकार वर्ष 2014 में यह 20वाँ विश्व शिक्षक दिवस था। इस अवसर को एजुकेशन इंटरनेशनल नामक संस्था “गुणवत्ता परक शिक्षा के लिये एकजुट हों” के नारे के साथ मनाया गया। एक अन्य संस्था इसे “भविष्य में निवेश करें, शिक्षकों में निवेश करें” के विषय के साथ मनाने की तैयारी में है।

यह भी पढ़ें :  भगवान श्रीराम ने खाए शबरी के फल, वीर हनुमान ने उजाङी अशोक वाटिका

देशों में अलग शिक्षक दिवस

✍?अलग-अलग देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग तारीखों पर मनाये जाते हैं। भारत में यह भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है।
✍?चीन में वर्ष 1931 में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी और बाद में वर्ष 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्म दिन, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन वर्ष 1951 में इसे रद्द कर दिया गया। फिर वर्ष 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन वर्तमान समय में ज्यादातर चीनी नागरिक चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्म दिन ही शिक्षक दिवस हो।
✍?इसी तरह रूस में वर्ष 1965 से वर्ष 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता था। जब साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाना शुरू हुआ तब इसके साथ समन्वय बिठाने के लिये इसे इसी दिन मनाया जाने लगा।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now