एमआरपी की छपाई के लिए अधिकतम सीमा निर्धारण करने वाला अधिनियम कानून बनाया जावे
बांसवाड़ा 17/05/2024|अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत , जिला शाखा बांसवाड़ा का एक प्रतिनिधि मंडल जिला अध्यक्ष लक्ष्मीकांत भावसार के नेतृत्व में तथा सांसद प्रतिनिधि एडवोकेट पंकज बरोडिया तथा बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव एडवोकेट तरुण अड़ीचवाल के मार्गदर्शन में जिला कलक्टर से मिलकर उपभोक्ता मामले एवं खाद्य मंत्री तथा वित्त मंत्री वित्त विभाग भारत सरकार दिल्ली को ज्ञापन प्रेषित करने द्वारा जिला कलेक्टर बांसवाड़ा को ज्ञापन दिया गया।ग्राहक पंचायत के जिला महामंत्री डा. कमलेश शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत एक गैर सरकारी संगठन के रूप में उपभोक्ता जागरूकता, शिक्षा और उपभोक्ता को राहत दिलवाने के लिए सम्बन्धी विभागों के लोक पाल आदि के समक्ष विभिन्न शिकायतों के लिए मार्गदर्शन का कार्य सम्पूर्ण भारत में सन् 1974 से कर रहा है।हमारा संगठन उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन से जुड़ा अग्रणी संगठन है। अतः अब हमारा यह संगठन देश भर के बाजारों में उपलब्ध पैकेज्ड वस्तुओं पर एम.आर.पी. को तय करने और पैकेज्ड आईटम्स पर छपाई तय करने के लिए कानून और नियामक आदेश पारित करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने की कार्य योजना बना रहे हैं। ग्राहक पंचायत के जिला मंत्री खुश व्यास ने कहा की भारत सरकार ने 1970 में ही लीगल मेट्रोलॉजी कानून के अन्तर्गत अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अंकन का प्रारम्भ और खुदरा बिक्री के लिए रखे जाने वाले डिब्बा बंद उत्पादों की पैकिंग पर एम.आर.पी. की छपाई अनिवार्य कर दी गई। खुदरा विक्रेता को यह स्वतंत्रता थी कि वह उतपाद पर अंकित एम. आर.पी. से कम पर तो उत्पादों का विक्रय कर सकता है, परन्तु एम.आर.पी. से अधिक कीमत पर उत्पाद बेचना अपराध घोषित किया गया। परन्तु आज भी विडंबना यह है कि एम.आर.पी. का निर्धारण कैसे होगा, इस सम्बन्ध में कानूनन कोई प्रभावी दिशा निर्देश नहीं होने से उपभोक्ताओं को संभावित नुकसान की आशंका बनी रहती है। इसी कानूनी शिथिलता का लाभ उठा कर डिब्बा बंद उत्पादों का निर्माता वर्ग मनमाने ढंग से एम.आर.पी. का निर्धारण कर रहे हैं। अतः माना जा सकता है कि एम.आर.पी. निर्धारण में पारदर्शीता का अभाव होने से अर्थ व्यवस्था का केन्द्र ‘ग्राहक या उपभोक्ता’ एम.आर.पी. की संरचना प्रक्रिया से ही अनभिज्ञ रहता है। सामान्य जीवन में उपभोक्तावादी संस्कृति में सामान्यतः ऐसे कई उदाहरण मिल जाते हैं जिनमें उत्पाद की कीमतें की गुणवत्ता से असंबद्ध ही प्रतीत होती है।जिला संगठन मंत्री परमेशवर लाल भावसार ने बताया की ग्राहक या उपभोक्ता का प्रतिनिधि संगठन होने के नाते अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत मांग करता है कि अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) का निर्धारण ग्राहक या उपभोक्ता हित में निष्पक्ष, पारदर्शी और आसान तरीके से समझ में आनेवाली प्रक्रिया से होना चाहिए। यद्यपि किसी भी उत्पाद की एम.आर.पी. को तय करने में सरकार की सीधी भूमिका नहीं होती इसी कारण से कई बार उपभोक्ताओं के लिए अनुचित एम.आर.पी. राशि का निर्धारण कर दिया जाता है। उदाहरणार्थ दवा उद्योग में दवाइयों की निर्माण लागत एवं विपणन मूल्य की असमानता उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक रूप से कष्टकारी रहती है। इस दवा व्यवसाय की विशिष्टता यह है कि स्वास्थ्य दृष्टिकोण से मरीज-उपभोक्ता के पास दवा के चयन के विकल्प चुनने के अपने अधिकार का प्रयोग भी नहीं कर सकता है और न ही एम.आर.पी. के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान के बारे में अपनी जागरुकता का लाभ ही उठा सकता है। एबीजीपी पूरे देश में एमआरपी का मुद्दा क्यों उठा रहा है?ग्राहक पंचायत के जिला उपाध्यक्ष बापूलाल ने बताया कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत देश के लगभग 140 करोड़ उपभोक्ताओं की ओर से भारत की केंद्रीय सरकार से अनुरोध करता है कि उत्पाद का लागत मूल्य (सीओपी), उत्पाद का प्रथम बिक्री मूल्य (एफएसपी) और एम.आर.पी आदि का विन्यास कर सभी उपभोक्ताओं को स्पष्ट जानकारी के साथ उचित लाभ के लिए प्रभावी कदम उठाया जाए। यद्यपि एम.आर. पी की विन्यास संरचना को प्रभावी तरीके से नियमानुसार लागू करने में प्रक्रियागत समय लग सकता है । तब तक सरकार डिब्बा बंद उत्पादों पर एम.आर.पी. के साथ एफ.एस.पी. छापने का आदेश प्रसारित कर राहत प्रदान कर सकती है। जिससे उपभोक्ता जब खरीदारी करता है तो वह प्रथम विक्रय मूल्य एवं अधिकतम खुदरा मूल्य के तर्कसंगत अन्तर की जानकारी से अवगत हो सके। एफ. एस.पी. को लागू करने से निर्माताओं और आयातकों पर लागत का अतिरिक्त मूल्य प्रभार भी नहीं आने वाला है। इससे उपभोक्ता लाभान्वित भी होगा और उपभोक्ता की पसंद एवं विकल्प के अधिकार की भी सुरक्षा होगी। पंचायत के जिलाअध्यक्ष लक्ष्मीकांत भावसार ने बताया कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत 140 करोड़ ग्राहकों के हितों से जुड़े इस मुद्दे को भारत एवं राज्य सरकारों के उपभोक्ता मामले मंत्रालय, वित्त मंत्रालय के समक्ष उठा कर राहत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है । साथ ही देश के नागरिकों के मध्य इस विषय को प्रचारित एवं प्रसारित करने के लिए आप समाचार पत्र बंधुओं द्वारा अथक प्रयासों एवं सम्मानित रूप से संचालित इस देश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र के अपेक्षित सहयोग की आवश्यकता है। गौरतलब है कि हमारा ग्राहक संगठन अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत इस उपभोक्ता हितों को प्रभावित करने वाले विषय को एक मसौदा तैयार कर देश भर से लोक सभा एवं राज्य सभा में प्रतिनिधित्व करने वाले माननीय सदस्यों को भी पत्र लिख कर जागरुकता के साथ कानून निर्माण में सहयोग की अपेक्षा रखता है।प्रसार मंत्री निखिल दोसी ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल में महामंत्री डॉ कमलेश शर्मा,जिला मंत्री खुश व्यास,जिला संगठन मंत्री परमेश्वरलाल भावसार,एडवोकेट तरुण अडीचावल, सांसद प्रतिनिधि एडवोकेट पंकज बरोडिया, विधि व्यास , एडवोकेट लाल बहादुर भंडारी , एडवोकेट प्रदीप जोशी , विजेंद्र शुक्ला आदि ने भाग लिया।ये जानकारी लक्ष्मीकांत भावसार जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत जिला शाखा बांसवाड़ा ने दी।