दंपति चित्रकार सीमा-राजेंद्र ने अपनी पेंटिंग से दिया सेव द टाइगर का संदेश


सवाई माधोपुर, 16 जनवरी।श्रद्धा ओम त्रिवेदी। सवाई माधोपुर न सिर्फ रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में स्वछन्द विचरण करने वाले बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध है बल्कि यहां के चितेरे कलाकारों के लिए भी ख्यात है। यहां के लोककलाकार माण्डना से लेकर वन्यजीवों की आकृतियों को अपनी तुलिकाओं से सजीव कर देते है। ऐसे ही यहां के चितेरे बाघ प्रेमी दम्पत्ती हैं सीमा जादौन व राजेन्द्र सिंह राजावत।
करौली के मनोहरपुरा में जन्मी सीमा जादौन ने चौथी कक्षा में हनुमान जी की तस्वीर बनाई जिसे देखकर उनके पिता रघुनंनद सिंह ने उनके अन्दर छुपे एक कलाकार को पहचाना और अपनी बेटी को चित्रकारी करने के लिए ब्रश व रंग लाकर दिए। सीमा ने उसके बाद मुरली वाले कान्हा जी का वॉटर कलर से पोटरेट बनाया। उसके बाद पुरानी कॉटन साड़ियों, बेडशीट्स पर भी अपनी कला की छाप छोड़ी। वर्ष 2009 में राजेन्द्र सिंह राजावत से उनका विवाह हुआ परन्तु वे अपनी इस कलाकार के हुनर को परम्परा के कारण वर्ष 2012 तक छुपाये बैठे रही।
लेकिन उनके अन्दर छिपा कलाकार तो हिलोरै मार रहा था। पेंटिंग की सामग्री नहीं मिली तो उन्होंने चोरी छिपे रसोई की सामग्री व अन्य घरेलु चीजों से सवाई माधोपुर में प्रथम पूज्य भगवान त्रिनेत्र गणेश जी की महिमा को देखते हुए गणेश जी की तस्वीर बनाई। पेंटिंग्स देखकर उनके ससुर आश्चर्य चकित रह गये और उन्होंने अपनी बहु के हुनर को पहचान दिलाने और पेंटिंग की बारीकियां सिखाने के उद्देश्य से फाइन आर्ट्स में नियमित विद्यार्थी के रूप में कॉलेज में प्रवेश दिलाया। वर्ष 2018 में फाइन आटर््स में एम.ए. में वे जिला टॉपर रही।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर जाते समय विश्व विख्यात रणथम्भौर टाईगर रिजर्व में स्वछन्द विचरण करते समय जब पहली बार बाघों को करीब से देखा तो उन्हें बाघ व वन्यजीवों से प्रेम हो गया। उन्होंने प्रारम्भ में कैनवास पेपर शीट, सिल्क कपड़ों, जयपुर के हैण्ड मेड पेपर पर बाघ की आकृतियां उकेरना शुरू किया। चारकॉल से बाघ की पेंटिंग बनाई।
सवाई माधोपुर निवासी उनके पति राजेन्द्र सिंह राजावत जब आठवीं में पढ़ते थे तो उन्हें चित्रकारी करने का शौक जगा। शुरूआत में अपनी मां का माण्डने मनाने सहयोग करने के साथ-साथ गांव में दीवारों पर जानवरों व फूल-पत्तियों की आकृतियां भी उकारा करते थे। पेंटिंग का उचित ज्ञान न होने के कारण उन्होंने इस कलां को बीच में ही छोड़ दिया।
वर्ष 2009 में उनकी शादी सीमा जादौन से हुई तो शुरूआत में अपनी पत्नी को पेंटिंग बनाने में सहयोग देना शुरू किया। बेडशीट पर फूल पत्तियां पत्नी सीमा जादौन ने बनाई वहीं रंग भरने का राजेन्द्र सिंह राजावत ने किया। राजेन्द्र सिंह ने झोझेश्वर महादेव, चारकॉल टाईगर आईज, सीमा जादौन ने राजबाग की एकल छतरी पानी के साथ, वॉक करता टाईगर आदि की तस्वीर बनाई। वहीं संयुक्त रूप से गौ-मुखी दरवाजा से पानी में तैरता व विचरण करता बाघ, मॉडर्न आर्ट में पैंथर के साथ बुद्ध भगवान, दो शावकों के साथ बाघिन, टी-शर्ट में बाघ का चेहरा, पृथ्वी गृह से बाघ व हिरण निकलते हुए, राजबाग के तालाब में बाघ, आधी छतरी के साथ बैठा टाईगर, त्रिनेत्र गणेश भगवान का चित्र 32 खम्भों की छतरी पीछे रणथम्भौर किले की प्राचीर, पेड़ के पीछे से निकलता पैंथर, पेड़ के ऊपर बैठा पैंथर के पीछे गौधुली बेला में जंगल, पेड़ के पीछे से झांकता टाईगर, हाथी घास में आराम करता बाघ, चट्टान पर आराम करता बाघ पीछे बासों के झुण्ड़, शिमली पाल भुवनेश्वर उडीसा में हाथी के सामने बाघ, कोहरे में बाघ व जंगली भैंसा, शिमली पाल के जंगल की पहाड़ी से जंगल को निहारता बाघ, जंगल के बीच से गुजरती नहर में बाघ आदि तस्वीर बनाई।
उन्होंने वर्ष 2024 में इंडिया हैबिटेट सेंटर नई दिल्ली ट्रेड सेंटर में सांखला फाउंडेशन की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारत के विदेश मंत्री श्री एसजे शंकर एवं पर्यावरण मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनकी पेंटिंग सराहना की। प्रदर्शनी से उनकी चार पेंटिंग को यूएसए एमबीसी वाले सिलेक्ट करके लेकर गए। इसी के साथ उन्होंने उड़ीशा में स्थित सीमली माल टाईगर रिजर्व में 23 से 30 नवंबर तक लगी प्रदर्शनी में अपनी बाघों की पेंटिंग का प्रदर्शन किया। जहां उनकी पेंटिंग्स को खूब सराहा गया। सीमा-राजेन्द्र दोनों अपनी पेंटिंग्स से न सिर्फ सेव द टाईगर का संदेश दे रहे बल्कि इनमें उनका कहीं न कहीं प्रकृति प्रेम भी झलकता है।


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