यमुनानगर के नवागत डीसीपी श्रद्धा नरेंद्र पांडे के लिए अपराध नियंत्रण बड़ी चुनौती

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यमुनानगर के नवागत डीसीपी श्रद्धा नरेंद्र पांडे के लिए अपराध नियंत्रण बड़ी चुनौती

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर नवागत डीसीपी श्रद्धा नरेंद्र पांडे के सामने अपराध पर नियंत्रण पाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए उन्हें नए सिरे से अपनी टीम का गठन करने के साथ-साथ थानों की कमान जो नए थानेदारों को मिली है इसकी मॉनिटरिंग करनी होगी ताकि आगामी लोकसभा का चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न कराया जा सके। जनपद की सीमा पर बसे रीवा मध्य प्रदेश व जनपद चित्रकूट से शराब की तस्करी और अवैध ढंग से बिक्री भी सीमा से सटे कई थानों पर होती रही है। इसका उदाहरण समय पर मिलता रहता है कई पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की गाज भी वरियतम अधिकारियों से शिकायतों के बाद गिर चुकी हैं। वहीं कई वीडियो भी पुलिस के पदाधिकारियों की सहभागिता से संबंधित वायरल होते रहते हैं। जिले के थानों पर शिकंजा कस गांजा व शराब तस्करी पर रोक लगाना भी अहम चुनौती साबित होगी। नशे के कारोबारी माफिया जिले में सक्रिय है उन पर रोक लगाना जरूरी होगा।हाला कि नई डीसीपी के लिए भी यह सफर इतना आसान भी नहीं होगा।जिले में कई चुनौतियां पहले से ही मुंह बाए खड़ी है उनसे निपटना उनके लिए किसी टेढ़ी खीर से काम नहीं होगा हत्या, लूट डकैती ,अपहरण, रंगदारी, अवैध खनन जैसी घटनाओं से निपटने को लेकर उन्हें नई रणनीति पर काम करना होगा। साथ ही जिले के बेखौफ अपराधियों पर लगाम लगाते हुए जनमानस में सुरक्षित की भावना को जागृत करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। इन दिनों दिन दहाड़े हत्या कर देने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।व्यापारियों सहित आम लोगों के साथ भी लूटपाट की घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं। कई कांडों में तमाम कोशिशें के बाद भी पुलिस अभी तक पर्दाफाश नहीं कर सकी है। भले ही कार्यभार संभालने के बाद से ही डीसीपी यमुनानगर करक्षना सर्किल के सभी थानों व बारा सर्किल के थाना बारा, शंकरगढ़ में औचक निरीक्षण में एक-एक कर बैठक की और जिले और चुनौतियों के बारे में बारीकी से जानकारी हासिल करते हुए मातहतों को दिशा निर्देश देते हुए लगातार भ्रमणशील हैं। लेकिन अभी भी आम लोगों में पुलिस की कार्यवाही के प्रति नाराजगी दूर नहीं हो पा रही है। चर्चा है कि मामूली काम के लिए थानों में बगैर नजराना सुनवाई नहीं होती। गुहार लगाने पर पुलिस कर्मियों की डॉट और मार तक खानी पड़ती है वहीं सनहा दर्ज कराने तक में थाना का दौड़ लगाना पड़ता है। नई डीसीपी को पुलिस व पब्लिक के बीच की बढ़ती दूरी को नजदीक लाना भी बड़ी चुनौती होगी। अगर पुलिस अधिकारी भी अपनी कोठियों से निकलकर गश्ती टीम का नेतृत्व करें तो अपराधियों में भय पैदा होना स्वाभाविक है।मगर पिछले कई वर्षों के भीतर पुलिसिंग के इस जरूरी सिस्टम का अभाव देखा जा रहा है।


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