संगम में उमड़ा जनसैलाब करोड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। संगम नगरी में शुक्रवार को भी मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती में करोड़ों श्रृद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। भोर से ही माघ मेले में दूर दराज से आने वाले श्रृद्धालुओं का रेला संगम नोज और अरैल घाट पर पहुंचता रहा। हांड कंपाने वाली ठंड भी लोगों की अस्था के आगे नहीं टिक सकी। श्रृद्धालुओं ने संगम स्नान के बाद दान-पुण्य अर्जित कर परिवार की मंगल कामना की। बता दें कि माघ माह के प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर्व पर बड़ी संख्या में गंगा एवं संगम स्नान के लिए श्रृद्धालु संगम और अरैल घाट पहुंचे। भोर से ही स्नानार्थियों का पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने का क्रम प्रारंभ हो गया था।
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजन किया। मेले में करीब दो करोड़ श्रृद्धालुओं ने स्नान किया। घाट किनारे पुरोहितों से माथे पर चंदन लगवाया। साथ ही पुरोहितों को सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा भी दिया। मेला क्षेत्र में प्रशासन की ओर से सुरक्षा के व्यापक और कड़े इंतजाम किए थे। मेला से दूर वाहनों को रोक दिया जा रहा था।हाला कि दुपहिया वाहनों के लिए अलग अलग रास्तों का रूट डायवर्जन बनाया गया था। परेड ग्राउंड से हनुमान मंदिर के पहले ही पार्किंग की व्यवस्था की गयी थी। इसके अलावा संगम में वाहनो के प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। वहीं नैनी में सोमेश्वर घाट के समीप बांध रोड के नीचे पार्किंग दिया गया था। मेले में पुलिस के जवानों के साथ, आर ए एफ, कमांडो, ख़ुफ़िया एजेंसी, ड्रोन कैमरा, सीसीटीवी कैमरे से मेले की निगरानी की गयी। विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ), अपराध निरोधक समिति के स्वयंसेवी भी प्रशासन एवं श्रद्धालुओं के सहयोग के तत्पर रहे।मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए घाटों की लंबाई 6800 रनिंग फिट से बढ़ाकर लगभग 8000 रनिंग फिट कर दी गई। मेले में कुल 12 घाट बनाए गए। सभी घाटों पर पर्याप्त मात्रा में चेंजिंग रूम एवं अन्य व्यवस्थाएं की गई। मेले में 1800 से 6000 शौचायलयों की गई। संस्थागत शौचालय 12000 बनाये गये।