जहाजपुर नगर की जीवन रेखा माने जाने वाला नागदी बांध बुधवार रात साढ़े 8 छलकने लगा। जिसे देखने के लिए गुरुवार सुबह लोगों की भीड़ उमड़ी। 2019 के बाद बांध के भरने से क्षेत्र के किसानों को रबी की फ़सल कि आंस जगी है। चादर चलने से पहले ही (बुधवार शाम से ही) स्थानीय प्रशासन अलर्ट मोड पर नज़र आया नागदी नदी के किनारे व आसपास के प्रतिष्ठान वालों को तेज बहाव से होने वाले कटाव से आगाह किया गया। क्योंकि पुर्व में भी तेज बहाव के चलते प्रतिष्ठानों को नुक़सान हुआ था।
सिंचाई विभाग के एईएन रामप्रसाद मीणा ने बताया कि नगर पालिका एरिया में स्थित 19 फ़ीट भराव क्षमता वाले नागदी बांध 1959 में बन कर तैयार हुआ था। जिसका केचमेंट एरिया 33.67 स्क्वायर किलोमीटर है ओर इसकी स्टोरेज कैपेसिटी 182 मैट्रिक फिट है। नागदी बांध बनने के बाद सन् 1968, 1971, 1973, 1974, 1975, 1976, 1979, 1986, 2001, 2004, 2019 में चादर चली थी। बनने के बीस साल बाद नागदी बांध की चादर 43 मैट्रिक फिट चलने एवं पानी की आवक ज्यादा आने से सन् 1979 में टूट भी गया था। नागदी बांध में सन् 1969 मे 19, 1982 में 18.30 एवं 1983 में 18.50, 1996 मे 18, 2013 में 17 एवं 2014 में 17.10 फ़ीट का भराव हुआ था। 2005 से लेकर 2010 तक बांध में 9 फ़ीट भराव भी नहीं हो पाया। बांध बनने के बाद अब तक सन् 2008 में पानी का भराव शुन्य रहा।
जेईएन सचिन गुर्जर ने बताया कि नागदी बांध से नगर पालिका सहित पंचायत क्षेत्र के 12 गांव जिनमें जहाजपुर, लाला का बाड़ा, पांचा का बाड़ा, बिंध्याभाटा, मातोलाई, बोरानी, सेंलादाता, बोरानी, राधिका बाड़ा, बिंदी, रतनपुरा, लक्ष्मीपुरा की 1692 हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। 2019 के बाद बांध के भरने से क्षेत्र के किसानों को रबी की फ़सल कि आंस जगी है।