सचिव व प्रधान की उदासीनता से विकास की बाट जोह रहा शंकरगढ़ का देवरी बेनी गांव
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। सूबे की सरकार ने इसी उम्मीद के साथ योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए शुरुआत की थी कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति और पात्र को रहने के लिए पक्का आशियाना हो और गरीब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें रहने के लिए सिर पर पक्की छत मिलेगी।लेकिन सच तो यह है कि आज भी गरीब और पात्र व्यक्ति मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। ग्राम प्रधान से लाख मिन्नतें करने के बाद यदि मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए तैयार भी होता है तो सुविधा शुल्क के रूप में चढ़ोत्तरी की मांग की जाती है।टीका टिप्पणी करने पर डांट डपट कर प्रधान के द्वारा पात्रों को भगा दिया जाता है।वही गांव के कुछ लोगों ने प्रधान व सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर शासन ने खुले में शौच मुक्त योजना के तहत इज्जत घर जारी करने का प्रबंध कर रखा है लेकिन इज्जत घर की समस्याओं की बात करें तो नजारा इतर है।पानी निकासी की व्यवस्था न होने से गांव के गलियों में कीचड़ युक्त रास्ते से निकलना लोहे के चने चबाने के समान है। जिन लोगों को आवास मुहैया भी कराया गया है उसमें जमकर भ्रष्टाचार किया गया है यही वजह है कि तमाम आधे अधूरे आवास पूरा होने की बाट जोह रहे हैं।आगे ग्रामीणों ने कहा कि यह तो गिने-चुने नमूने हैं साहब और बहुत सी ऐसी योजनाएं हैं जिनका पोल खुलना अभी बाकी है। प्रधान और सचिव भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे हैं जबकि खंड विकास अधिकारी ने संबंधित को हिदायत देते हुए सख्त कदम उठाने के लिए कह चुके हैं मेरा सतत प्रयास है कि कोई भी पात्र व्यक्ति मूलभूत सुविधाओं से वंचित न रहे मगर आलम यह है कि सख्त निर्देशों के बावजूद भी भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग पा रही है।ग्रामीणों ने योजनाओं की विधिवत जांच कराने की पुरजोर मांग की है कि दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्यवाही के साथ-साथ सरकारी धन की रिकवरी कराई जाए।