परोपकार और पुरूषार्थ करने वाला इंसान मानव भव को सार्थक बना सकता है: दिव्यप्रभा
भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) पुराना आजाद नगर जैन स्थानक में उपप्रवर्तनी डॉ दिव्यप्रभा ने आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि संसार में मनुष्य भव मिलना अत्यंत दुर्लभ है फिर भी इंसान मानव योनी को प्राप्त करने बाद जीवन में पुरूषार्थ और परोपकार नहीं करता है और राग-द्वेष और मोह-माया मे जीवन को व्यतित करने वाला मनुष्य अपनी आत्मा को संसार मे जन्म और मृत्यु के फेरो से बाहर नहीं निकाल पाएगा। वही मनुष्य संसार से आत्मा को बाहर निकाल सकता है जो संसार की नश्वरता और मोह माया का त्याग करता तो वह मानव भव सार्थक बनाकर हमेशा केलिए जन्म मरण से अपनी आत्मा को मुक्ति दिलवा पाएगा। इसदौरान साध्वी निरूपमा साध्वी आर्याश्री ने फरमाया की इंसान दिन और रात धनदौलत के पीछे भागता है परन्तु अंत समय अपने साथ एक फुटी कोड़ी भी कौई भी नहीं ले जा सकता है। सुनिल चपलोत ने बताया की धर्मसभा में नरेन्द्र भंडारी, नरेन्द्र लोढ़ा विरेन्द्र भंडारी, चांदमल आंचलिया, हिम्मतसिंह मुड़िया, प्रवीण कोठारी आदि उपस्थित रहे।