शाहपुरा हायर सैकंडरी स्कूल में 1.30 करोड़ के विकास कार्यो का उद्घाटन

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शाहपुरा हायर सैकंडरी स्कूल में 1.30 करोड़ के विकास कार्यो का उद्घाटन
चारदीवारी व खेलमैदान सहित कई कार्य कराये गये

अपने स्कूल में काम करा कर ऋण ही चुकाया – पीडब्लुडी सचिव गालरिया
एचडीएफसी के वित्तिय सहयोग से युवा अनस्टोपेबल ने कराया है विकास कार्य

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी/ शाहपुरा जिला मुख्यालय के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में एचडीएफसी बैंक के वित्तीय सहयोग से एक करोड़ 30 लाख रुपए के विकास कार्यो का शनिवार को उद्घाटन किया गया। प्रमुख शासन सचिव पीडब्लूडी वैभव गालरिया के प्रयासों से कराये गये इन कार्यो का उद्घाटन उन्हीं के पिताश्री शिक्षाविद रमेशचंद्र गालरिया के हाथों कराया गया जो इसी स्कूल में प्राध्यापक भी रहे। प्रमुख शासन सचिव पीडब्लूडी वैभव गालरिया शाहपुरा के मूल निवासी है। यहां के हायर सैकेडरी स्कूल में उन्होंने अध्ययन किया।
उपाचार्य अनिल बघेरवाल ने बताया कि विद्यालय में एचडीएफसी बैंक के वित्तीय सहयोग से एक करोड़ 30 लाख रुपए के कार्य कराये गये है। बेंक ने सीएसआर फंड से इस कार्य को एनजीओ युवा अनस्टोपेबल के माध्यम से कराया है। इसके तहत विद्यालय भवन की चारदीवारी, पीछे के परिसर में खेल मैदान का रिनोवेशन, बरामदे में कोटा स्टोन फर्श, हाइटेक कंप्यूटर लेब, स्मार्ट क्लासरूम तथा छात्र-छात्राओं के लिए यूरिनल एवं टॉयलेट के निर्माण का कार्य कराया गया है।
समारोह में ब्रह्म ज्ञान संस्कृत परमार्थ संस्थान घाटा रानी के संस्थापक शिक्षाविद रमेश चंद्र गालरिया, एचडीएफसी के सर्किल हेड़ कुमार सौरभ, सर्किल हेड विजय माहेश्वरी, गर्वमेंट बिजनेस हेड नरेंद्र रावत, नगर परिषद सभापति रघुनंदन सोनी, शाहपुरा के एडीएम चंदन दुबे, एएसपी किशोरीलाल, सीएमएचओ डा. घनश्याम चावला, जिला शिक्षा अधिकारी रामेश्वरलाल बाल्दी, एडीशनल ब्लाक मुख्य शिक्षा अधिकारी भंवरलाल बलाई, प्राचार्य कमलेश मीणा, ब्रांच मैनेजर गौरव अजमेरा, खुशवंत पालीवाल, भाजपा अध्यक्ष राजेश पाारीक के अलावा सेवानिवृत शिक्षाविद मोजूद रहे। कार्यक्रम में स्कूल परिवार की ओर से प्रमुख शासन सचिव गालरिया एवं एसडीएफसी परिवार को स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

अध्ययन जहां से लिया उस स्कूल का ऋण प्रत्येक व्यक्ति को अदा करना चाहिए-गालरिया

प्रमुख शासन सचिव गालरिया ने कहा कि इसी स्कूल से अध्ययन किया है। उनका फांउडेशन यही है। उनको संस्कार पिता-माता से मिले है। आज स्कूल में भौतिक विकास करवा कर वो अपने ही स्कूल का ऋण ही अदा कर रहे है। भगवान की कृपा है, उनको काबिल बनाया है तो ऋण अदा करना है। स्कूलों में तो प्रत्येक व्यक्ति को ऋण अदा करना ही चाहिए।

पचास सालों पूर्व का सपना पूरा हुआ- रमेशचंद्र

शिक्षाविद रमेशचंद्र गालरिया ने कहा कि पचास के दशक में उन्होंने भी इसी स्कूल में अध्ययन किया। यहीं पर अध्यापन कराया। तब से स्कूल के चारों ओर चारदीवारी न होने से धीरे धीरे अतिक्रमण होने लगा। इस कारण आवारा पशुओं के विचरण व बारिश के पानी से खेल मैदान खराब हो गया। इस कारण उनका मन पीड़ित रहता था। वैभव से कहा और प्रयास किया तो आज सफलता मिलने पर मन खुश हो गया है। पचास साल पूर्व देखा सपना आज पूरा होने पर वो गदगद है। उन्होंने कहा कि कार्य के प्रति समर्पण ही है कि जनवरी में कार्य प्रांरभ किया गया तथा सितम्बर में उसका उद्घाटन हो गया।


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