Advertisement

श्री राम कथा में राम जन्मोत्सव पर बधाइयां लूटते और झूमते श्रद्धालु

श्री राम कथा में राम जन्मोत्सव पर बधाइयां लूटते और झूमते श्रद्धालु

ज्ञानी ईश्वर को निराकार मानते हैं वहीं भक्त भगवान को साकार रूप में प्राप्त कर लेते हैं रावण कुंभकरण जन्म, श्री राम जन्मोत्सव मनाया

गंगापुर सिटी श्री राम कथा सेवा समिति के तत्वाधान में किरण पैलेस में चल रही संगीतमय राम कथा के तृतीय दिवस पर रविवार को परम पूज्य आराधना देवी के मुखारविंद से श्री हरि के द्वारपाल जय विजय कथा का वृतांत मनु सतरूपा कथा का प्रसंग रावण कुंभकरण जन्म सहित श्री राम जन्मोत्सव मनाया साध्वी द्वारा श्री राम कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान महादेव माता सती को राम जन्म की कथा सुना रहे थे तब माता ने कहा कि भगवान को राम के रूप में जन्म क्यों लेना पड़ा भगवान धरती पर क्यों आए तब महादेव बोले श्री हरि विष्णु के द्वारपाल जय और विजय को ऋषियों द्वारा श्रापित होने पर जय, विजय को असुर योनि में राक्षस बनना पड़ा और रावण और कुंभकरण के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया श्री हरि ने माता लक्ष्मी को कोमलता का महत्व समझाते हुए बोले कि मेरे सामान कोई कोमल नहीं और मेरे समान ही कोई कठोर नहीं सब कुछ मेरी ही इच्छा के अनुरूप ही संसार में घटित होता है रावण कुंभकरण और विभीषण ने कठोर तप किया और ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके रावण ने वरदान मांगा नर और वानर के अलावा मेरी मृत्यु किसी से ना हो वरदान स्वरुप रावण का आतंक पृथ्वी पर बढ़ गया पाप बढ़ने से पृथ्वी पर हाहाकार मच गया और देवताओं में भी खलबली मच गई सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए तब आकाशवाणी से श्री हरि ने कहा कि वह पापियों का नाश करने के लिए धरती पर राम के रूप में अवतरित होंगे तब ब्रह्मा जी बोले की हम सभी को भी धरती पर जन्म लेकर श्री राम की सहायता करनी होगी इससे पूर्व साध्वी द्वारा मनु शतरूपा का वृतांत सुनाते हुए कहा की मनु शतरूपा ने श्री हरि से उन जैसा पुत्र रत्न प्राप्त करने वरदान मांगा श्री हरि ने मनु शतरूपा को वरदान दिया साध्वी ने महाराजा दशरथ की कथा का वर्णन करते हुए दशरथ का जीवन चरित्र बताते हुए कहा कि राजा दशरथ के कौशल्या माता कैकई माता सुमित्रा माता तीन रानियां थी लेकिन कोई पुत्र नहीं हुआ तब राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए गुरु वशिष्ठ से उपाय बताने के लिए कहा तब गुरु वशिष्ठ बोले की पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए यज्ञ करना होगा गुरु वशिष्ठ द्वारा पुत्र प्राप्ति यज्ञ कराया गया तब यज्ञ प्रसादी से कौशल्या माता के आंगन में श्री हरि प्रकट हुए तो कौशल्या माता ने स्तुति करके श्री हरि से शिशु के रूप में आने का आग्रह किया तब भगवान शिशु रूप में अवतरित होकर रूदन मचाने लगे रूदन सुन दासियों ने राजा दशरथ को तुरंत सूचना पहुंचाई की कौशल्या माता के बालक में जन्म लिया है उधर कैकई माता के आंगन में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई सुमित्रा माता के आंगन में दो पुत्रों ने जन्म लिया महाराजा दशरथ के घर चार चार पुत्रों के प्राप्ति पर राजमहल सहित पूरे अयोध्या नगरी में खुशियां मनाई और घर घर बधाइयां गाई श्री राम जन्म महोत्सव का चित्रण साध्वी द्वारा संगीतमय भजनों के साथ प्रस्तुत करने पर खचाखच भरे कथा पंडाल में श्रद्धालु नाचने गाने लगे और बधाइयां बांटने लगे श्रद्धालुओंने जमकर बधाइयां लूटी और सजीव झांकियो का चित्रण किया साध्वी आराधना देवी ने कथा सार में कहा की जीवन में कभी दुख आए तो प्रभु की इच्छा मानकर स्वीकार करें क्योंकि प्रभु ही जीवन में सुख और दुख का कारण और निवारण करते हैं ज्ञानी लोग प्रभु को निराकार के रूप में मानते हैं लेकिन भक्त के लिए प्रभु साकार रूप में प्रकट होते हैं कथा आयोजन से जुड़े दुर्लभ ठेकेदार ने बताया कि सोमवार को श्री राम कथा में श्री राम की बाल लीलाओं का वर्णन ऋषि विश्वामित्र यज्ञ रक्षा प्रसंग अहिल्या उद्धार नगर दर्शन पुष्प वाटिका प्रसंग आदि की कथाओं का वर्णन किया जावेगा