दिल्ली से उमड़ा आचार्य सौरभ सागर की भक्ति जनसैलाब
जयपुर 12 अगस्त। राजधानी में श्रद्धालुओं की भक्ति का जनसैलाब उमड़ा रहा है। जहां एक ओर शहर में संस्कार प्रणेता आचार्य सौरभ सागर महाराज की ज्ञान गंगा का पूरा लुफ्त उठा रहे है। वही दूसरी ओर दिल्ली रोहणी नगर सेक्टर 5, 11 और 23 से सैकड़ों श्रद्धालुओं का दल शनिवार को सुबह 5 बजे अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा पहुंचा। जहां पर मुलनायक पदम प्रभु स्वामी और आचार्य चैत्य सागर महाराज दर्शन प्राप्त कर प्रताप नगर सेक्टर 8 स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मासरत आचार्य सौरभ सागर महाराज के दर्शनों के लिए पहुंचे जहां पर सभी श्रद्धालुओं ने भगवान शांतिनाथ स्वामी के दर्शन लाभ प्राप्त कर आचार्य श्री मंगल प्रवचनों का लाभ प्राप्त किया।
इस दौरान वर्षायोग समिति के पदाधिकारियों द्वारा सभी यात्रियों का स्वागत, सम्मान किया। यात्रा में दिल्ली से समाजसेवी राजेश जैन बंटी, अरुण जैन, विपिन जैन, आदेश जैन, अशोक जैन, श्रीमती निशा जैन सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित हुए। यात्रियों ने शनिवार को सांगानेर संघीजी एवं चुलगिरी जैन मंदिर के दर्शन के बाद यात्रा श्रीमहावीरजी के लिए प्रस्थान किया।
शनिवार को प्रताप नगर सेक्टर 8 के संत भवन में आचार्य सौरभ सागर ने कहा की – धर्म की पहचान आस्था और यात्रा से होती, आस्था और यात्रा का सौभाग्य केवल विश्वास करने वालो मिलता है क्योंकि आस्था से भक्ति मिलती है और यात्रा से संस्कार मिलते है। जिस प्राणी ने आस्था और यात्रा का सुख प्राप्त कर लिया उस प्राणी को भक्ति और संस्कार स्वयं प्राप्त हो जायेगें। यह केवल खुद पर विश्वास कर धर्म के मार्ग पर चलने वालों को ही प्रभावशाली बनाती है। आज के दौर में प्राणी अपना सुख-दुख भूलकर दूसरों पर निगाह रखने लग गया है, जबकि वास्तविकता में प्राणी को अपने सुख-दुख को देखने की आवश्यकता है। जो प्राणी जैसा कर्म करेगा वैसे सुख-दुख का प्राप्ति बनेगा। इसमें यह किया, उसने वो किया, वो यह बोल रहा है यह केवल मन की देशना मात्र है, जबकि प्राणी को यह चिंतन करना चाहिए की उसने आज क्या किया, क्यों किया, कैसे किया। जिस दिन प्राणी स्वयं में सुधार कर लेगा पूरी सृष्टि आस्था और यात्रा के प्रभाव से पुण्यशाली बन जायेगी।