मानव जीवन के कल्याण के लिए विष तक ग्रहण करने वाले हैँ भगवान शिव-डॉ गार्गी पंडित
कुशलगढ़| छींच के ब्रह्मा मंदिर प्रांगण में स्थित भुवनेश्वर महादेव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बड़ौदा, गुजरात से पहुंची विदुषी बहन डॉ गार्गी पंडित का भावसार समाज के साथ ही सर्व समाज के प्रतिनिधियों ने स्वागत किया! स्वागत के उपरांत विदुषी डॉ पंडित भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद लेकर धर्मसभा में पहुंची जहाँ वागड़ क्षेत्रीय भावसार समाज अध्यक्ष सतीश भावसार, भूपेंद्र दवे, धमेन्द्र उपाध्याय समेत मातृशक्ति ने अभिनंदन किया! आयोजित धर्म सभा में डॉ गार्गी पंडित ने कहा की सृष्टि को रचने वाले शिव भगवान हैं। जिन्होंने मानव जीवन के कल्याण के लिए विष तक ग्रहण किया था। समुंद्र मंथन के दौरान दानवों ने शिव को गुमराह करके अमृत की जगह विष पिला दिया था। परंतु शिव भगवान की महिमा चमत्कारी थी तथा उन्होंने विष का पता होते हुए भी समाज कल्याण, दानवों का विनाश करने के लिए जहर पी लिया था। भगवान शिव की आराधना करना आसान है। भगवान शिव जरा सी भक्ति पर ही खुश होकर वरदान दे देते हैं बस जरूरत है कि सच्ची भक्ति की। शिव आराधना का महत्व बताते हुए डॉ पंडित ने कहा की जब-जब भी धरा या देवलोक में कोई भी संकट आया, भूत भावन शंकर भगवान ही तारणहार बने और सबका उद्धार किया। इस वजह से भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है। भगवान के जो भी अवतार हुए है, सभी में सर्व कल्याण का भाव है। इस वजह से शिव आराधना से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। धर्मसभा में विदुषी पंडित ने कहा की ईश्वर की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा अहंकार है। भगवान और अभिमान कभी भी एक जगह पर नहीं रहते हैं। उन्होंने शबरी और केवट के उदाहरण देते हुए बताया कि शबरी की भक्ति समर्पण वाली थी, जबकि केवट की भक्ति में ज्ञान था। इसी वजह से शबरी को प्रभु के चरण पखारने का मौका सहज मिल गया, जबकि केवट को बहुत मुश्किल से प्रभु के चरणों को हाथ लगाने का मौका मिला। भगवान की लीला में यह दोनों प्रसंग अहंकार के नाश के प्रतीक के रूप में आते हैं। यह भी कहा कि ज्ञान मनुष्य को ईश्वर बनाता है ,जबकि भक्ति ईश्वर को भी मनुष्य बना देती है ।सच्चा भक्त प्रभु से कभी न कुछ मांगता है, न ही शिकायत करता है। अपने कर्तव्य का पालन किए जाता है। धर्मसभा के दौरान भगवान भुवनेश्वर मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर डॉ पंडित ने शुभकामनायें देते हुए सर्वमंगल की कामना की।