जयपुर 2 जून। बाल अधिकारिता राज्यमंत्री डॉ. मंजू बाघमार के मुख्य आतिथ्य में बाल अधिकारिता विभाग एवं राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा विश्व बालश्रम निषेध दिवस (12 जून) के उपलक्ष्य में सोमवार 2 जून को जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित इन्दिरा गांधी पंचायतीराज एंव ग्रामीण विकास संस्थान में संवाद मय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के अन्तर्गत बाल एंव किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) 1986 संशोधित नियम 2017 के प्रभावी क्रियान्वयन, कार्यवाही एंव जागरूकता के संबंध में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये गए।
बाल अधिकारिता राज्यमंत्री डॉ. मंजू बाघमार ने कहा कि राज्य सरकार 2030 तक बाल श्रम मुक्त राजस्थान बनाने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि माता पिता के खराब स्वास्थ्य, गरीबी और अशिक्षा के कारण बच्चों को बाल श्रम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि संड़क किनारे कोई गरीब आदमी सामान बेचता हो तो उसे खरीदे ताकि उस गरीब व्यक्ति की मदद हो सके और उसके मासूम बच्चों को बाल मजदूरी न करनी पड़े।
डॉ. मंजू बाघमार ने इस अवसर पर बाल श्रम मुक्त राजस्थान के पोस्टर की लांचिग की और सभी उपस्थित जनों को बाल श्रम उन्मूलन की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि हम सब इस कार्यशाला से एक संकल्प लेकर जाए कि बाल श्रम करने वाले बच्चों को बाल श्रम से बचाने के लिए अपना सौ फीसदी प्रयास करेंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव बाल अधिकारिता विभाग कुलदीप रांका ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि बच्चे हमारा इतिहास भी है और भविष्य भी है। उन्होंने कहा प्रत्येक माँ बाप अपने बचपन की कल्पना की उड़ान को अपने बच्चों में भी अनुभव करते हैं। वे उन्हें बेहतर शिक्षा के साथ ही अच्छा जीवन देने का सम्पूर्ण प्रयास करते हैं। किन्तु कुछ माता पिता अपने खराब स्वास्थ्य गरीबी या ऐसी ही कोई अन्य मजबूरी होने के कारण अपने बचपन की कल्पना की उड़ान को परवान नहीं चढ़ा पाते हैं। ऐसे माता पिता के बच्चें मजबूरी में बाल श्रम करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि गरीबी एक बहुत बड़ा अभिश्राप है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 24 में बाल श्रम को निषेध किया है। 2016 में नियमों में संशोधन के बाद जो परिभाषा बनी उसके अनुसार यदि कोई बच्चा परिवार के व्यापार और चाइल्ड आर्टिस्ट के अलावा अन्य कोई भी प्रकार का कार्य करता है तो वह बाल श्रम की श्रेणी में आता है।
आयुक्त बाल अधिकारिता बचनेश अग्रवाल ने कहा कि अभाव गरीबी और विकट परिवरिक परिस्थिति के कारण छोटे बच्चे बाल श्रम करने को मजबूर हो जाते हैं। भारत के संविधान में ही बाल श्रम प्रतिषेध किया गया है। बच्चों को शिक्षा नहीं मिलने से उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है। जिससे वह मजबूरी में बाल श्रम करता है तथा वह बच्चा पूरी उम्र गरीबी की कुचक्र में फंस जाता है। उन्होंने कहा कि हम सब समाज में बाल श्रम की रोकथाम के लिए अपने अपने स्तर पर कार्य कर इस सामाजिक बुराई का उन्मूलन करें।
कार्यशाला में टाबर संस्था के कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया और हम भी पढ़ना चाहते हैं का सन्देश दिया। नुक्कड़ नाटक में समाज में कही भी बाल श्रम होता देखने पर 1098 पर कॉल करके जानकारी देने लिए दर्शकों को प्रेरित किया।
इस अवसर पर यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन विशेषज्ञ संजय निराला तथा सेव द चिल्ड्रन संस्था के निदेशक संजय शर्मा ने भी सम्बोधित कर विषय पर गहनता से प्रकाश डाला और बाल श्रम निवारण के उपाय बताये। जिसमें उनके द्वारा सभागार में उपस्थिति लोगों सहित सभी प्रदेश वासियों से आग्रह किया गया कि बाजार में दुकार पर यदि कोई सामान खरीदे तो उस समय दुकानदार से यह अवश्य पूछे कि यह सामान कहीं बाल श्रमिकों द्वारा तो तैयार नहीं किया गया है। इससे निश्चित ही बाल श्रम उन्मूल के प्रति समाज में एक सकारात्क प्रभाव पड़ेगा और बदलाव आएगा।

2014 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 2015 से 2021 तक गंगापुर सिटी पोर्टल (G News Portal) का बतौर एडिटर सञ्चालन किया। 2017 से 2020 तक उन्होंने दैनिक समाचार पत्र राजस्थान खोज खबर में काम किया। 2021 से 2022 तक दैनिक भास्कर डिजिटल न्यूज और साधना न्यूज़ में। 2021 से अब तक वे आवाज आपकी न्यूज पोर्टल और गंगापुर हलचल (साप्ताहिक समाचार पत्र) में संपादक और पत्रकार हैं। साथ ही स्वतंत्र पत्रकार हैं।