बडोदिया| जैन समाज के अठारह हजार दिगम्बर जैन दशा हुमड़ समाज के 72 गांवों में पहली बार चक्रवर्ती विवाह हुआ। बडोदिया निवासी अनुज जैन पुत्र संजय जैन ने परतापुर निवासी नेहल जैन पुत्री दीपक जैन से श्री 1008 नेमीनाथ जिनालय परतापुर में विवाह किया। यह विवाह जैनागम में वर्णित परंपरा अनुसार हुआ। विवाह में वर-वधु ने जिन देव की साक्षी में गुरुकुल परंपरा का पालन किया। विवाह से पहले दूल्हे ने घोती दुपट्टे में जिन मंदिर में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा और पंच परमेष्ठी विधान किया। इसके बाद अग्नि की साक्षी में सात फेरे लिए। इस सादगीपूर्ण विवाह से समाज को धर्म और संस्कारों के पालन का संदेश दिया गया। विधान जैन और लक्ष्य जैन ने बताया कि यह विवाह कूलगुरु तीर्थ चक्रवर्ती मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज और आर्यिका माँ विज्ञानमति माताजी के आशीर्वाद से हुआ। इस विवाह का उल्लेख आदि पुराण में भी मिलता है। विवाह में महिपाल जैन नितिन जैन राजेश जैन रेणुका जैन शकुंतला देवी जैन पयांशी जैन सीमा जैन, रीना जैन युक्ति जैन मिठालाल जैन लक्ष्मीलाल जैन मगनलाल जैन सागरमल जैन सुर्यकरण जैनचंद्रकांत जैन सतीश जैन अरविंद जैन राजेन्द्र जैन मुकेश जैन अशोक जैन चंद्रकांत जैन संजीव तलाटी राजकुमार जैन सहित केवीबी परिवार और बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।विवाह के दिन वर अनुज जैन और वधु नेहल जैन ने जल उपवास रखा। दोनों ने सात दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन, कंदमूल और सप्त व्यसन का त्याग,रात्रि भोजन नहीं के त्याग का नियम लिया । विवाह के बाद दोनों अपने घर न जाकर कूलगुरु तीर्थ चक्रवर्ती निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर महाराज के दर्शन और वंदना के लिए निकले। वर-वधु ने बताया कि सुधासागर महाराज ने प्रवचन में कहा था कि दांपत्य जीवन को धर्ममय बनाना है तो इसकी शुरुआत चक्रवर्ती विवाह से करें। इसके बाद बोहरीबंद स्थित चमत्कारोदय तीर्थ में विराजमान सुधासागर महाराज से आशीर्वाद लिया। कथन जैन और निमित्ती जैन ने बताया कि आज की युवा पिढी विवाह के तुरंत बाद हिल पर्यटन स्थाल पर जाना चाहती है जबकि इय जोडे ने तीर्थ वंदना को चुना । विवाह के बाद वर वधु तीन सिद्ध क्षेत्र और दो अतिशय क्षेत्र की सात दिवसीय तीर्थ वंदना कर वधु पुराण ग्रंथ लेकर ससुराल में गृह प्रवेश करेगी।