वेद तथा वेदानुसार ईश्वर जीव प़कृति पंच तत्व
सनातन जिसको वदलना मिटाना असंभव-” यश”
आर्य समाज जयपुर दक्षिण के सत्संग में “सनातन ” की चर्चा
जयपुर, आस्था के नाम पर विकृतियां हिंसा जन्म गत जातिवाद रूढ़ीवादी अंधविश्वास ऊंच नीच घृणा भेदभाव सृष्टि क़म विपरीत अवैज्ञानिक मत-मतांतर पंथ सम्प्रदाय मनुष्य द्वारा रचित हैं सनातन नहीं। उक्त कथन सत्य सनातन की चर्चा करते हुए वैदिक चिंतक यशपाल यश ने आर्य समाज जयपुर दक्षिण द्वारा मानसरोवर स्थित ओउमानंदम् में आयोजित सत्संग को संबोधित करते हुए कहीं। यश ने कहा कि वेद तथा वेदानुसार ईश्वर जीव प़कृति के पंच तत्व जो सत् रज तम से वने हैं वे सनातन है और अनंत काल तक सनातन कालातीत सत्य रहेंगे । यश ने सनातन को राजनैतिक हथियार वनाना ईश्वर के प्रति पाप वताते हुए कहा कि इनसे ही अमानवीय अंधविश्वास हिंसा तथा अराजकता पनपती है ये कभी सनातन नहीं हो सकते उल्टे युवा पीढ़ी को अफीम का अहसास करा अध्यात्म से विमुख कर रहे हैं।
यज्ञ के मुख्य यजमान प़ोफेसर हरी चरण लाल गुप्ता ने सत्य सनातन वैदिक धर्म का वैज्ञानिक स्वरूप वताया। श्याम अग़बाल ने असतो मा सद् गमय: की व्याख्या की। इं महेंद्र सिंह धाकड एव मधु रानी ने ईश्वर भक्ति भजन प्रस्तुत किए।
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